नई दिल्ली/श्रीनगर : कश्मीर में आतंकी घटनाओं में दो हफ्तों में पांच गैर-स्थानीय मजदूरों सहित नौ नागरिक मारे गए हैं, जिससे घाटी से बड़ी संख्या में गैर-स्थानीय मजदूरों का पलायन हुआ है.
कश्मीर से उत्तर संपर्क क्रांति ट्रेन द्वारा दिल्ली और फिर यहां से गृह राज्य वापस लौटने जा रहे लोगों ने बातचीत के दौरान दर्द बयां किया. उन्होंने बताया कि कैसे घाटी में फिर से 1989-90 जैसे हालात हो रहे हैं. कैसे कट्टरपंथियों की बौखलाहट लोगों की जान ले रही है और कैसे सरकार कड़े कदम उठा रही है.
कश्मीर से लौटे लोगों ने बयां किया हाल एक निजी समूह के साथ काम करने वाले सुरेश (बदला हुआ नाम) पहचान सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताते हैं कि उन्होंने बीते दो दिन खौफ में जीये हैं. शुरू की घटनाओं में इतना डर नहीं लगा, लेकिन हाल ही में जब मजदूरों को निशाना बनाया गया, तब उन्हें अपनी सुरक्षा की भी चिंता होने लगी. वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. छुट्टियों में घर तो आना था, लेकिन इतनी जल्दी नहीं. वो पिछले कई सालों से घाटी में काम कर रहे हैं.
जम्मू में सुरक्षित जगह दी जा रही है, लेकिन घर से अच्छा और क्या. ज़िंदा रहे तो काम भी कर लेंगे. उन्होंने कहा कि वापस काम पर जाने की बात पर सुरेश कहते हैं कि अगर सब कुछ ठीक हो जाता है, तो उन्हें वापस जाने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन फिलहाल उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता है.
जम्मू में रहने वाले डॉ. कपिल कहते हैं कि घाटी में फिर से 1989 का दौर लौट रहा है. लोगों में डर का माहौल है. वो कहते हैं कि एडमिनिस्ट्रेशन ने दूसरे राज्यों से आए मजदूरों से अपील की है कि वह लोग अपने आधार कार्ड लेकर आएं, ताकि उन्हें सुरक्षा दी जा सके. वो कहते हैं कि सरकार से उम्मीद है कि इन सभी लोगों का ध्यान रखें और इन्हें सुरक्षा प्रदान करे.
अभिनंदन शर्मा कहते हैं कि वहां लोग धार्मिक सौहार्द खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, ताकि वो भाग जाएं. हालांकि, सरकार इन्हें सबक सिखाएगी. वो कहते हैं कि इन लोगों के खिलाफ कड़ा एक्शन हो और उम्मीद हैं कि जल्दी से सब कुछ सामान्य हो जाए. पूरा देश एकजुट है.
कठुआ के रहने वाले राहुल कहते हैं कि वहां के आतंकवादियों में बौखलाहट है. मज़दूर डरे हुए हैं. वो जम्मू में ठहरे हुए हैं. गवर्नर ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा किया है.
कश्मीर में नागरिक हत्याओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
उधर, कश्मीर में जम्मू-कश्मीर नेशनलिस्ट पीपुल्स फ्रंट ने आतंकी घटनाओं की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. राजनीतिक दल का कहना है कि ये कश्मीरियों को बदनाम करने की साजिश है. पार्टी के अध्यक्ष शेख मुजफ्फर का कहना है कि पिछले 30 वर्षों से अज्ञात बंदूकधारियों ने हजारों नागरिकों को मार डाला है यह रक्तपात अब बंद हो जाना चाहिए.
मुजफ्फर ने 'ईटीवी भारत' को बताया, 'गैर-स्थानीय मजदूरों सहित हाल में नागरिकों की हत्याओं का मकसद कश्मीर के लोगों को बदनाम करना और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना है.' पार्टी के एक अन्य कार्यकर्ता अल्ताफ अहमद ने कहा कि हत्याओं का उद्देश्य लोगों में डर पैदा करना और कश्मीरियों को बदनाम करना है. इन हत्याओं की राजनीतिक दलों ने निंदा की है लेकिन इन हत्याओं के खिलाफ किसी भी राजनीतिक ने पहला विरोध प्रदर्शन किया है.
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गौरतलब है कि पिछले दो हफ्तों में पांच गैर-स्थानीय मजदूरों सहित नौ नागरिक मारे गए हैं, जिससे घाटी से हजारों गैर-स्थानीय मजदूरों का पलायन हुआ है. हर साल बाहरी राज्यों से हजारों मजदूर गर्मी के मौसम में काम के लिए घाटी में पहुंचते हैं. ये मजदूर बिहार, यूपी से निर्माण स्थलों पर काम करने के लिए, कृषि भूमि और अन्य नौकरियों में काम करने के लिए आते हैं. कई मजदूरों ने कहा कि वे डर के मारे भाग गए, जबकि कई ने कहा कि उनका काम का मौसम खत्म हो गया है और वे घर वापस जा रहे हैं.