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केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को MHA प्रदान करेगा एमएमपीडीएस तकनीक

सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह (Central Reserve Police Force (CRPF) Director General Kuldeep singh) ने कहा है कि आतंकी संगठनों द्वारा सीमा पार से भेजे जाने वाले विस्फोटक के अन्य सामानों को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को एमएमपीडीएस तकनीक प्रदान करेगा. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबराय की रिपोर्ट...

CRPF Director General Kuldeep singh
सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह (फाइल फोटो)

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Published : Mar 17, 2022, 6:59 PM IST

नई दिल्ली: आतंकवादी संगठनों के द्वारा सीमा पार से गोला-बारूद के अलावा विस्फोटक, नकली मुद्रा और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं को भारत भेजा जाता है. इसको देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने यूएस निर्मित मल्टी मॉडल पैसिव डिटेक्शन सिस्टम (एमएमपीडीएस) को तकनीक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को प्रदान करने का निर्णय लिया है.

यह तकनीक एक एमयूओएन आधारित स्थिर स्कैनर तकनीक है जिसे एमएमपीडीएस तकनीक कहा जाता है. इसमें सभी प्रकार के आग्नेयास्त्रों, गोला-बारूद, विस्फोटक, आईईडी के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले घटकों, गन साइलेंसर, विभिन्न दूरबीन स्थलों, नाइट विजन उपकरणों सहित छुपाए गए प्रतिबंधित सामानों के लिए वाहनों की पूरी बॉडी स्कैनिंग होती है. इस बारे में सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह (Central Reserve Police Force (CRPF) Director General Kuldeep singh) ने कहा, वर्तमान में मेसर्स एसएसबीआई लिमिटेड और ओईएम के साथ पत्राचार, प्रस्तुतियों और तकनीकी चर्चा के बाद इसके ऑनसाइट इंस्टॉलेशन की तारीख मांगी गई है. सीआरपीएफ के महानिदेशक शनिवार को सीआरपीएफ दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में पत्रकारों से बात कर रहे थे.

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इससे पहले सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी एक्स-रे तकनीक मुहैया कराने की अपनी सरकार की मंशा की घोषणा कर चुके हैं. सीआरपीएफ के महानिदेशक ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि पिछले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में मामूली वृद्धि देखी गई है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां ​​स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं. डीजी सिंह ने कहा कि कश्मीर में अभी कम संख्या में विदेशी आतंकवादी मौजूद हैं लेकिन कई मौकों पर आतंकवादियों को सीमा पार से निर्देश मिलते रहते हैं.

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यह कहते हुए कि पर्यटन के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर में एक अनुकूल माहौल है, सिंह ने कहा, दिसंबर और जनवरी सुरक्षा एजेंसी के लिए दो अच्छे महीने थे क्योंकि इस दौरान काफी संख्या में आतंकवादियों को बेअसर करने के साथ ही क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने में सफलता मिली. उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों के लिए भी उनके घर लौटने का अच्छा माहौल है और जब भी जरूरत होगी सीआरपीएफ उनके (कश्मीरी पंडितों) घरों को खाली कर देगी. गौरतलब है कि सीआरपीएफ कई जगहों पर जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के घरों और मंदिरों को अपने बेस कैंप के तौर पर इस्तेमाल करती रही है.

175 आतंकी और माओवादी मार गिराए
सीआरपीएफ डीजी ने कहा कि वर्ष 1 मार्च 2021 से 16 मार्च 2022 तक जम्मू कश्मीर मे सीआरपीएफ ने 175 आतंकवादियों को मार गिराया. उन्होंने बताया कि इसी अवधि के दौरान सुरक्षा एजेंसी द्वारा 19 वामपंथी उग्रवादी (माओवादी) सदस्य और 2 विद्रोहियों को ढेर कर दिया. इतना ही नहीं जम्मू कश्मीर में 183 आतंकवादियों व 699 माओवादियों के अलावा पूर्वोत्तर में 861 विद्रोहियों को भी इस अवधि के दौरान सीआरपीएफ ने पकड़ा था. उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान बड़ी संख्या में माओवादियों और विद्रोहियों ने भी आत्मसमर्पण किया.

महानिदेशक ने कहा कि इस दौरान 545 हथियार, 15,495 गोला-बारूद, 1615.775 किलोग्राम विस्फोटक, 425 आईईडी, 271 ग्रेनेड, 1382 डेटोनेटर भी बरामद किए गए. सिंह ने कहा कि सुरक्षा एजेंसी और आतंकवादी संगठनों के बीच 135 मुठभेड़ भी हुई जिनमें सीआरपीएफ के 13 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी जबकि 136 जवान घायल भी हुए. डीजी सिंह ने सुरक्षा बल के जवानों के मानसिक तनाव और आत्महत्या की प्रवृत्ति का जिक्र करते हुए कहा कि इस संबंध में उचित कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि हम अपने कर्मियों की भलाई के लिए मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ परामर्श करते रहते हैं. उन्होंने बताया कि 2022 में सीआरपीएफ के 10 जवान आत्महत्या कर चुके हैं. सिंह ने कहा, हमने वायुसेना और बीएसएफ से हेलिकॉप्टर सेवाएं हासिल कर ली हैं. हमें जब भी जरूरत होती है तो उनकी सेवा मिलती है.

कोबरा बल में 18 महिला कमांडो शामिल

उन्होंने 22 घंटे से अधिक समय बाद नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से दिल्ली एम्स ले जाने के बाद सीआरपीएफ के एक सहायक कमांडेंट के दोनों पैर खो जाने के बारे में पूछे जाने पर स्पष्ट किया कि वहां से निकाले जाने में रोशनी एक बड़ी बाधा थी. उन्होंने बताया कि 2020 से 2022 तक एलडब्ल्यूई क्षेत्रों में 58 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) स्थापित किए जाने से माओवादियों पर बढ़त मिल रही है. सीआरपीएफ में महिला कर्मियों की मौजूदगी का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि कोबरा बल में 18 महिला कमांडो को शामिल किया गया है. सिंह ने कहा, हम महिला कर्मियों को भी प्रमुखता दे रहे हैं. हमने विभिन्न स्थानों पर महिलाओं के लिए उपयुक्त बैरक स्थापित करने की पहल भी की है. वीआईपी को सुरक्षा मुहैया कराने के मुद्दे पर बात करते हुए सिंह ने कहा कि सुरक्षा बल विभिन्न श्रेणियों के 117 सुरक्षाकर्मियों को सुरक्षा मुहैया करा रहा है. पांच राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान, सिंह ने कहा कि 42 सुरक्षा प्राप्त लोगों को वीआईपी सुरक्षा प्रदान की गई थी, जिनमें से 27 को भी वापस ले ली गई है.

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सिंह ने कहा, वीआईपी सुरक्षा प्रशिक्षण केंद्र (वीएसटीसी) वर्तमान में ग्रेटर नोएडा में एडहॉक आधार पर काम कर रहा है. वीएसटीसी को नियमित करने का मामला गृह मंत्रालय के पास विचाराधीन है. उन्होंने बताया कि 32 महिला कर्मियों को वीआईपी सुरक्षा विंग में शामिल करने के अलावा, सिंह ने कहा कि सीएपीएफ के 4401 कर्मियों, दिल्ली पुलिस के 149 और आरपीएफ / आरपीएसएफ के 123 कर्मियों को 2021-22 के दौरान प्रशिक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान 1552 सीएपीएफ कंपनी और 494 सैप कंपनी को तैनात किया गया था.

जम्मू कश्मीर और पंजाब में ड्रोन का उपयोग सुरक्षा एजेंसी के लिए चुनौती

ड्रोन और साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर बात करते हुए सीआरपीएफ महानिदेशक ने कहा कि साइबर स्वच्छता और सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीआरपीएफ में सूचना सुरक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (आईएसईआरटी) की स्थापना की गई है. सिंह ने कहा कि सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, इंटरनेट से जुड़े सभी पीसी का ऑडिट समय-समय पर किया जाता है. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि भारत की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और पंजाब में ड्रोन का उपयोग सुरक्षा एजेंसी के लिए एक गंभीर चुनौती है.

उन्होंने बताया कि जोखिम कोष से वित्तीय सहायता के तहत कार्रवाई में शहीद हुए कर्मियों के लिए अनुग्रह राशि को 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये किया गया है. इसके अलावा केंद्रीय कल्याण कोष से मिलने वाली वित्तीय सहायता को भी कार्रवाई में मारे गए कर्मियों के लिए 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है. साथ ही अन्य सभी मामलों में सहायता 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है.

उन्होंने बताया कि विकलांगता के मामले में जोखिम कोष से वित्तीय सहायता को भी वर्गीकृत किया गया है जैसे 0-25 फीसद विकलांगता वाले कर्मियों के लिए 5 लाख रुपये, 25-50 फीसद विकलांगता प्रतिशत वाले कर्मियों के लिए 10 लाख रुपये, 50-75 फीसद विकलांगता प्रतिशत वाले कर्मियों के लिए 15 लाख रुपये और 75-100 फीसद की विकलांगता वाले कर्मियों के लिए 20 लाख रुपये दिए जाएंगे.

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