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Published : Dec 12, 2020, 5:02 PM IST

Updated : Dec 12, 2020, 7:22 PM IST

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गृह मंत्रालय ने बंगाल के तीन IPS अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाया

भाजपा अधयक्ष जे पी नड्डा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पश्चिम बंगाल के तीन आईपीएस अधिकारियों को गृह मंत्रालय (एमएचए) ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सेवा के लिए बुलाया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. पढ़ें विस्तार से...

गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में सेवारत भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के तीन अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अपनी सेवा देने के लिए शनिवार को एकतरफा तरीके से तलब किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उल्लेखनीय है कि यह कार्रवाई राज्य में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले और पार्टी द्वारा सुरक्षा में लापरवाही के आरोप लगाए जाने के कुछ दिन के भीतर हुई है. अधिकारियों ने बताया कि तीनों अधिकारी भाजपा अध्यक्ष की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे.

केंद्र ने जिन तीन अधिकारियों को बुलाया है, उनमें आईजी (दक्षिण बंगाल) राजीव मिश्रा, डायमंड हार्बर के पुलिस अधीक्षक भोलानाथ पांडे और डीआईजी (अध्यक्ष रेंज) प्रवीण कुमार त्रिपाठी के नाम शामिल हैं.

गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश

माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय के इस कदम से पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी नीत सरकार और केंद्र की भाजपा नीत सरकार के बीच दो दिन पहले नड्डा के काफिले पर हुए हमले के पैदा हुई खींचतान और बढ़ेगी.

गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि तीनों आईपीएस अधिकारी पश्चिम बंगाल कैडर के हैं और उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में सेवा के लिये बुलाया गया है. इन अधिकारियों को उन चूकों की वजह से बुलाया गया है, जिनकी वजह से नड्डा के काफिले पर हमला हुआ.

उन्होंने बताया कि यह फैसला अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों पर लागू होने वाली नियमावली के तहत लिया गया है.

इस संबंध में TMC सांसद सौगत राय ने कहा कि IAS और IPS अधिकारी संविधान के अनुच्छेद 312 द्वारा शासित किए जाते हैं और पद के लिए चुने जाने के बाद उन्हें राज्य कैडर सौंपा जाता है. इस के बाद केंद्र अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर नाम भेजने के लिए कह सकता है.

पढ़ें - नड्डा के काफिले पर हमला सुनियोजित थाः भाजपा

उल्लेखनीय है कि सामान्य तौर पर अखिल भारतीय पुलिस सेवा के किसी अधिकारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाने से पहले संबंधित राज्य की सहमति लिया जाना अनिवार्य है. प्रत्येक पांच साल बाद राज्यों में आईपीएस अफसरों का कैडर रिव्यू किया जाता है, जिसके बाद राज्यों में इन आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है, हालांकि अफसरों की तैनाती से पूर्व राज्य सरकार द्वारा सेंट्रल डेपुटेशन की अनुमति की आवश्यकता होती है.

Last Updated : Dec 12, 2020, 7:22 PM IST

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