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मिजोरम-म्यांमार सीमा : शरणार्थियों के प्रवेश पर निगरानी रख रहा गृह मंत्रालय

म्यांमार में तख्तापलट के बाद सेना से आतंकित बड़ी संख्या में लोग भारत में शरण ले रहे हैं. तत्माडॉ (म्यांमार सशस्त्र बलों) द्वारा झेली गई यातना को सहन करने में असमर्थ, लोग अपने स्थानों से भाग रहे हैं और भारत में प्रवेश कर रहे हैं.

MHA monitoring situation along Mizoram-Myanmar bordera
MHA monitoring situation along Mizoram-Myanmar bordera

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Published : Sep 7, 2022, 7:43 AM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) मिजोरम-म्यांमार सीमा पर स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है. हाल ही में मंत्रालय को इस तरह के रिपोर्ट मिले हैं कि मिजोरम में पिछले कुछ दिनों से म्यांमार शरणार्थी प्रवेश कर रहे हैं. गृह मंत्रालय ने भारत-म्यांमार सीमा पर तैनात असम राइफल्स को भी इस तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए अपनी गश्त तेज करने को कहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए असम राइफल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने भारत-म्यांमार सीमा पर अपनी गश्त तेज कर दी है.

भारत और म्यांमार अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर सहित पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1640 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं. हालांकि, पिछले कुछ दिनों से मिजोरम सरकार म्यांमार की ओर से शरणार्थियों की आमद दर्ज कर रही है. मिजोरम के एक सरकारी अधिकारी ने मिजोरम से टेलीफोन पर कहा कि तत्माडॉ (म्यांमार सशस्त्र बलों) द्वारा झेली गई यातना को सहन करने में असमर्थ, लोग अपने स्थानों से भाग रहे हैं और भारत में प्रवेश कर रहे हैं.

अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही इस मामले में नई दिल्ली से संपर्क कर चुकी है. पिछले साल म्यांमार से ऐसी ही आमद की घटनाएं हुई थीं. जिसके बाद गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर की राज्य सरकारों विशेषकर मिजोरम और मणिपुर से सीमा पार से आने वाले लोगों को आश्रय नहीं देने को कहा था. म्यांमार से हजारों लोग पिछले साल मिजोरम भाग गए थे जब म्यांमार सेना ने तख्तापलट के माध्यम से सत्ता संभाली थी. म्यांमार से आने वाले लोगों ने मिजोरम के विभिन्न स्थानों में शरण ली और उन्हें राज्य सरकार, गैर सरकारी संगठनों, छात्र निकायों, चर्चों और गांव के अधिकारियों द्वारा भोजन और अन्य राहत सामग्री उपलब्ध कराई जा रही थी.

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गृह मंत्रालय ने इन चार राज्यों को म्यांमार के साथ अपनी सीमा साझा करने के लिए पड़ोसी म्यांमार से शरणार्थियों की आमद को रोकने के लिए कहा था, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकारों के पास किसी भी विदेशी नागरिक को शरणार्थी का दर्जा देने की कोई शक्ति नहीं है. हालांकि, दिसंबर में मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उपाय करने की अपील की ताकि उत्तर-पूर्वी राज्य म्यांमार के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रख सकें, जिन्होंने अपने-अपने राज्यों में शरण ली है.

म्यांमार में तख्तापलट के बाद मिजोरम में आ चुके हैं 30 हजार से ज्यादा शरणार्थी : मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, म्यांमार में तख्तापलट के बाद डेढ़ साल के वक्त में 30 हजार से ज्यादा लोग सीमा पार करके मिजोरम पहुंच गए हैं. राज्य के गृह मंत्री लालचामलियाना ने विधानसभा में बताया कि अब तक 30,401 लोग म्यांमार से भारत आ चुके हैं और इनमें से 29,253 ने यहां शरण ले ली है. उन्होंने कहा कि सरकार ने म्यांमार के नागरिकों को पहचान पत्र जारी किए हैं जो कि उन्हें शरणार्थी प्रमाणित करता है. लालचामलियाना ने कहा, अभी तक पूरी तरह से प्रोफाइलिंग कंप्लीट नहीं हुई है. यह कार्य चरणबद्ध तरीके से चलता रहेगा क्योंकि बहुत सारे लोग अब भी मिजोरम पहुंच रहे हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि अपने गांव को वापस चले गए हैं. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन और राहत विभाग ने 3 करोड़ की राशि अब तक जारी की है.

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स्थानिय मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम में लान्गतलाई सब डिविजन ऑफिसर टीटी बेइखाईजी ने कहा कि पिछले सप्ताह जिले में म्यांमार से 589 और लोग आए हैं. इनमें से 210 लोग हमान्गबुछुआह गांव में रुके हैं और 115 लोग दुमजाउतलांग गांव में हैं. मिजोरम के 6 जिले म्यांमार की सीमा से लगते हैं जिसमें चंफाई, सियाहा, लान्गतलाई, सेरछिप, हनाथियाल और साइतुआल शामिल हैं.

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