नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने मिजोरम सरकार से राज्य में सड़क निर्माण और अन्य गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे विस्फोटकों की एक ऑडिट रिपोर्ट (audit report of explosives) तैयार करने के लिए कहा है. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'मिजोरम सरकार को सड़क निर्माण और अन्य गतिविधियों के लिए प्राप्त जिलेटिन का ऑडिट करने का निर्देश दिया गया है.'
ऐसा इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की गृह मंत्रालय को सौंपी गई उस रिपोर्ट के बाद हुआ है, जिसमें डेटोनेटर, सुरक्षा फ्यूज के बक्से, निर्माण गतिविधियों के लिए बनाई गई एयर गन जैसे विस्फोटकों की संभावित चोरी पर संकेत दिया गया था.
'ईटीवी भारत' संवाददाता ने वह रिपोर्ट देखी है जिसमें आईबी ने मिजोरम में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा भारी मात्रा में ऐसे विस्फोटकों को जब्त किए जाने का भी उल्लेख किया है. अधिकारी ने कहा, 'इस बात की पूरी संभावना है कि निर्माण कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटकों को चोरी कर म्यांमार स्थित आतंकवादी संगठन को भेजा जा रहा है. ये वह संगठन हैं जो देश के सैन्य शासन से लड़ रहे हैं.'
भारी मात्रा में विस्फोटक जब्त किया था :इस साल की शुरुआत में सुरक्षा एजेंसियों ने मिजोरम के सैहा जिले के टीपा पुलिस थाने के जॉनलिंग में एक वाहन से 1000 डेटोनेटर और 4,500 मीटर डेटोनेटर फ्यूज सहित 2400 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किया था. इस मामले की जांच करने वाली एनआईए ने कहा था कि यह खेप म्यांमार स्थित संगठन चिन नेशनल फ्रंट (सीएनएफ) के लिए थी, जो म्यांमार सरकार का विरोध करने के लिए हथियार और गोला-बारूद जमा करने की प्रक्रिया में है.
1988 में स्थापित CNF का उद्देश्य म्यांमार में आत्मनिर्णय और जातीय समानता के आधार पर एक संघीय संघ स्थापित करना है. संगठन, सशस्त्र विंग म्यांमार की सैन्य सरकार के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोध करने की सख्त कोशिश कर रहे हैं. कैंप विक्टोरिया में इसका मुख्यालय तिआउ नदी के तट पर स्थित है, जो मिजोरम के चंफाई जिले की सीमा से कुछ किलोमीटर दूर है.
पिछले साल की शुरुआत में पड़ोसी देश में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से सुरक्षा एजेंसियां मिजोरम-म्यांमार सीमा पर ऐसे हथियारों और विस्फोटकों की बरामदगी कर रही हैं. भारत में सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि म्यांमार के चिन राज्य के कई शरणार्थी जिन्होंने मिजोरम में शरण ली है, वे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से विस्फोटक जमा करने की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. उल्लेखनीय है कि म्यांमार के अधिकारियों ने भी इस संबंध में भारत सरकार से संपर्क किया था.
असम राइफल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संवाददाता को बताया, 'मिजोरम-म्यांमार सीमा से ऐसे विस्फोटकों की बरामदगी से पता चला है कि यह खेप म्यांमार के लिए है.' मिजोरम म्यांमार से अपनी 510 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है.असम राइफल्स इस सीमा की रक्षा करती है. मिजोरम के अलावा तीन अन्य राज्य अरुणाचल प्रदेश (520 किमी), नागालैंड (215 किमी), मणिपुर (398 किमी) सीमा म्यांमार के साथ साझा करते हैं. मई में, 11,000 जिलेटिन की छड़ें, भारी संख्या में डेटोनेटर, सुरक्षा फ्यूज के बक्से, एयर गन और अन्य सामग्री बरामद की गई थी.
विस्फोटक सामग्री है जिलेटिन :जिलेटिन एक विस्फोटक सामग्री है जिसका उपयोग निर्माण गतिविधियों और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. यह सड़क निर्माण और खनन गतिविधियों में अक्सर उपयोग किए जाने वाले सबसे सस्ते विस्फोटकों में से एक है. जिलेटिन में कोलोडियन-कॉटन (एक प्रकार का नाइट्रोसेल्यूलोज या गन कॉटन) होता है जो नाइट्रो-ग्लिसरीन या नाइट्रो-ग्लाइकॉल में घुल जाता है और लकड़ी के गूदे और सोडियम नाइट्रेट या पोटेशियम नाइट्रेट के साथ मिलाया जाता है.
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अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए एनआईए ने हाल ही में आइजोल में दो स्थानों पर तलाशी ली और विस्फोटकों की चोरी में शामिल संदिग्धों के मोबाइल फोन, बैंक दस्तावेजों सहित आपत्तिजनक सामग्री बरामद की. एनआईए ने पुष्टि की है कि विस्फोटक म्यांमार स्थित चिन नेशनल फ्रंट के लिए थे, जो म्यांमार सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के लिए हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक जमा कर रहा है.