नई दिल्ली :संसदीय समिति ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों द्वारा आत्महत्या के मामलों पर हैरानी जताई है. आंकड़ों के अनुसार, 2018 में 96 कर्मियों ने आत्महत्या कर ली, जबकि 2019 में 130 और 2020 में 134 की मौतें हुईं.
संसदीय समिति के अध्यक्षत कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सीआरपीएफ में अधिकतम 53 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. पर्याप्त छुट्टी, संचार, बीमार परिवार के सदस्यों के बेहतर उपचार, पेंशन की त्वरित संवितरण, जोखिम और कठिनाई भत्ते जैसी सुविधाएं सीएपीएफ कर्मियों को प्रोत्साहन के रूप में प्रदान की जानी चाहिए. यह उनके तनाव के स्तर को काफी हद तक कम करने में मदद करेगा.
तत्काल कदम उठाने की जरूरत
समिति ने माना कि सेना के जवानों की तरह सीएपीएफ के जवान भी दुर्गम पहाड़ी और बर्फीले इलाकों में तैनात हैं. समिति ने कहा कि इसलिए गृह मंत्रालय को इस मामले को तत्काल कदम उठाना चाहिए. ताकि सीएपीएफ कर्मियों को भी सेना के कर्मियों के लिए जोखिम और कठिनाई भत्ते दिए जा सकें.
तनाव कम करने की आवश्यकता
समिति ने यह देखा कि अधिकारी रैंक (पीबीओआर) से नीचे की बटालियनों में रक्षा बल के जवान सीएपीएफ (बीएसएफ, एसएसबी, सीआरपीएफ, आईटीबीपी और एआर) 30 दिन की सीएल (कैजुअल लीव) के अधिकारी होते हैं. वे लगभग समान परिचालन चुनौतियों, कठिनाई और समान तनाव स्तर पर काम करते हैं. समित ने कहा कि गृह मंत्रालय सीएपीएफ को दिए गए भत्तों की समीक्षा कर सकता है. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे भेदभाव महसूस नहीं करते हैं और अपने परिवारों के साथ पर्याप्त समय बिताने में सक्षम हैं. इससे तनाव कम करने में भी मदद मिलेगी.
आवास संतुष्टि भी बहुत जरुरी
समिति का मानना है कि सीएपीएफ की वर्तमान आवास संतुष्टि स्तर 50 प्रतिशत से कम है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीएपीएफ कर्मियों के पास आवास सुविधाओं पर केवल 45.74 प्रतिशत संतुष्टि स्तर है. यह सरकार का कर्तव्य है कि कठोर जलवायु परिस्थितियों के साथ कठिन इलाके में तैनात बल के जवानों को आवास और संतुष्टि प्रदान करना चाहिए. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एसएसबी कर्मियों के बीच आवास संतुष्टि स्तर 26.17 प्रतिशत से कम है. इसके बाद आईटीबीपी 39.93 प्रतिशत है. इस तथ्य को देखते हुए कि अभी भी सीएपीएफ के लिए 1,45,602 आवास इकाइयों की कमी है. इसके लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन किया जाना चाहिए.
गृह मंत्रालय को ध्यान देने की जरूरत
संपर्क किए जाने पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने कहा है कि सरकार को इस मामले को गंभीरता से देखने की जरूरत है. क्योंकि सीएपीएफ के जवान भी रक्षा में अपने समकक्षों की तरह कड़े कर्तव्य निभाते हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि इस तथ्य पर विचार करते हुए कि कई अवसरों पर रक्षाकर्मियों को सीमा क्षेत्रों के साथ अन्य देशों के सुरक्षा कर्मियों के साथ सामना करने की आवश्यकता है. उन्हें (रक्षा कर्मियों) को बड़े भाई के रूप में माना जाना चाहिए. सिंह ने कहा कि सरकार को सीएपीएफ की शिकायतों पर वास्तव में गंभीर विचार करना चाहिए.
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स्वास्थ्य लाभ भी मिलना चाहिए
यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ और एआर कर्मियों के तनाव को कम करने और काम करने की स्थिति में सुधार के लिए कुछ उपाय किए हैं. देर होने पर सीएपीएफ के अधिकारियों और जवानों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए आयुष्मान सीएपीएफ योजना को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के सहयोग से शुरू किया जाना चाहिए.