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सरकारी स्कूल के बच्चे बोलते हैं जापानी, फ्रेंच और जर्मन

महाराष्ट्र के मोशी में एक ऐसा सरकारी स्कूल है, जहां के छात्र-छात्राएं कई विदेशी भाषाएं सीख रहे हैं. कई तो अच्छी तरह से विदेशी भाषा बोलने भी लगे हैं. ये संभव हुआ है इस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों के प्रयास और बच्चों की लगन से (MH Govt School students speak Japanese french German and Chinese). पढ़ें खास खबर.

MH Govt School students
मोशी में नगर परिषद के स्कूल के बच्चे

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Published : Dec 27, 2022, 4:54 PM IST

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अमरावती :जहां बहुत से लोग अपनी मातृभाषा और अंग्रेजी भाषा के बीच भ्रमित हैं, वहीं आश्चर्य की बात है कि अमरावती के मोशी में स्थित नगर परिषद के स्कूल में कक्षा 2 से 8 तक के छात्र जापानी, फ्रेंच, जर्मन और चीनी भाषा आसानी से बोल रहे हैं (MH Govt School students speak Japanese french German and Chinese ). ऐसा संभव हुआ है शिक्षकों के प्रयास और छात्रों की सीखने की लगन से.

मोशी नगर परिषद के आठ नंबर स्कूल में कक्षा एक से आठवीं तक कुल 237 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. प्रधानाध्यापिका रेखा नाचोन के मार्गदर्शन में विद्यालय के सभी आठ शिक्षकों का प्रयास विद्यालय में छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाने पर केंद्रित है.

आठवीं कक्षा के छात्र ज़ुएरिया मज़हर अहमद ने मराठी, हिंदी, उर्दू के साथ-साथ स्पेनिश बोलना भी शुरू कर दिया है. तीसरी कक्षा के छात्र ओम ने जापानी भाषा सीखनी शुरू कर दी है. वह थोड़ी-थोड़ी जापानी भाषा बोलने लगे हैं. आठवीं कक्षा के छात्र अचल विश्वकर्मा, सारिका युनते, साक्षी ने भी जापानी बोलना शुरू कर दी है. कई 8वीं कक्षा के छात्रों को भी जापानी भाषा काफी आसान लगती है.

तीसरी कक्षा के कलीम, उन्नति और साक्षी ने भी जापानी सीखना शुरू कर दिया है. वे थोड़ा बहुत जापानी बोल रहे हैं. उनके शिक्षकों का मानना ​​है कि अगर वह इस अभ्यास को जारी रखते हैं, तो वे अगले एक या दो साल में पूरी जापानी भाषा में महारत हासिल कर लेंगे.

कोरोना काल में जब पूरी दुनिया महामारी से हिल गई थी, तो इस स्कूल के शिक्षकों और छात्रों ने इस समय का सदुपयोग तकनीक की मदद से विदेशी भाषा सीखने पर किया.

कक्षा आठ में पढ़ाने वालीं संजीवनी भरदे, तीसरी कक्षा की शिक्षिका स्वाति निर्मल और अंग्रेजी भाषा की शिक्षिका योगिता सवलाखे द्वारा दिखाए गए सही रास्ते के कारण इस स्कूल के छात्रों को विदेशी भाषा सीखने का शौक लगा. संजीवनी भारदे ने रोज दस मिनट के लिए यूट्यूब वीडियो या गूगल अनुवाद की मदद से विदेशी भाषा सीखने का तरीका बताया.

इसके माध्यम से छात्र भी कोरोना काल में मोबाइल फोन का सदुपयोग कर एक नई भाषा सीखने का प्रयास करने लगे. शिक्षिका स्वाति निर्मल ने बताया कि कोरोना काल में जब स्कूल बंद था तो शिक्षक स्लम एरिया में गए जहां स्कूल के छात्र रहते हैं और छात्रों व उनके अभिभावकों को नई भाषा सीखने की जानकारी दी.

अभिभावकों ने भी संभाली जिम्मेदारी :स्वाति निर्मल ने कहा कि कुछ छात्रों की मां ने नई भाषा सीखने की तकनीक सीखी और क्षेत्र में आठ से दस बच्चों को इकट्ठा किया और उन्हें इस संबंध में मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी स्वीकार की. साथ ही योगिता सावलखे ने छात्रों की अंग्रेजी भाषा की पुष्टि करते हुए कहा कि अगर अंग्रेजी भाषा मजबूत है तो अन्य भाषाएं आसानी से सीखी जा सकती हैं.

इन तीनों शिक्षकों की मेहनत से इस स्कूल के छात्रों में विदेशी भाषा सीखने की प्रवृत्ति बढ़ी है. पूर्व शिक्षा सचिव नंदकुमार के मार्गदर्शन ने छात्रों में भाषाई और तार्किक बुद्धि को पहचाना और उन्हें स्वाध्याय के माध्यम से नई भाषा सीखने को दी. संजीवनी भारदे और स्वाति निर्मल ने 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कहा कि आज ये कोशिशें कामयाब होती दिख रही हैं. छात्रों ने एक नई विदेशी भाषा सीखने पर प्रसन्नता व्यक्त की.

नगर परिषद के इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र बेहद गरीब परिवार से हैं. कई छात्रों के पास रहने के लिए पक्का घर भी नहीं है. कई बच्चों की मां दूसरे के घरों में बर्तन धोने जाती हैं. कुछ छात्रों के पिता हैं लेकिन मां जीवित नहीं है. इस तरह की विकट स्थिति का सामना कर रहे इस स्कूल के छात्र अपनी दुविधा की स्थिति से बाहर निकल कर शिक्षकों के मार्गदर्शन में भाषा संवर्धन पर जोर दे रहे हैं. उनके प्रयास वास्तव में प्रेरक हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि भविष्य में यदि उन्हें इस विद्यालय के उत्कृष्ट शिक्षकों की तरह सही मार्गदर्शन मिले तो वे भाषा की इस समृद्धि के बल पर विभिन्न क्षेत्रों में ऊंची उड़ान भर सकते हैं.

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