दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

आकार पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर वापस लेने के आदेश पर लगी मुहर

7 अप्रैल को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पवन कुमार ने सीबीआई के निदेशक को निर्देश दिया था कि पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने में अधीनस्थ अधिकारियों ने गलती की है और इसलिए सीबीआई निदेशक इसका हवाला देते हुए लिखित रुप से माफी मांगें.

aakar patel
आकार पटेल

By

Published : Apr 16, 2022, 8:51 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट की सेशंस कोर्ट ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस लेने के एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को सही करार दिया है. स्पेशल जज संतोष स्नेही मान ने सीबीआई के निदेशक को लिखित रूप से माफी मांगने के एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगा दिया है. सेशंस कोर्ट ने आकार पटेल को एक हफ्ते के अंदर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है उन्हें मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना देश छोड़ने से मना किया है. इससे पहले सेशंस कोर्ट ने 12 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था. 8 अप्रैल को सेशंस कोर्ट ने एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने लुकआउट सर्कुलर नोटिस पर रोक लगाई थी. इसपर सीबीआई ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस करने के खिलाफ सेशंस कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी.

8 अप्रैल को सुनवाई के दौरान आकार पटेल की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद आकार पटेल को 7 अप्रैल की रात को फिर विदेश जाने से रोका गया. उन्होंने कहा कि जिस समय कोर्ट लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस लेने का आदेश जारी कर रही थी उस समय जांच अधिकारी हिमांशु बहुगुणा भी कोर्ट में उपस्थित थे. कोर्ट के आदेश के बाद जब वो कल रात में फ्लाइट पकड़ने गए तो उन्हें उसी लुकआउट सर्कुलर नोटिस के आधार पर रोक दिया गया. यहां तक कि जांच अधिकारी ने अपना फोन भी स्वीच ऑफ कर लिया. जांच अधिकारी का यह रवैया मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. वहीं सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से वकील निखिल गोयल ने कहा कि एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट का आदेश सही नहीं है. इस आदेश में कुछ ऐसे दिशानिर्देश जारी किए गए जिसका केस से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि आकार पटेल के खिलाफ एक केस गुजरात में चल रहा है, जबकि दूसरा केस बैंगलुरु में.

इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि आपकी पहली दलील है कि लुकआउट सर्कुलर वापस लेने का आदेश सही नहीं है और दूसरा कि कोर्ट ने सीबीआई को लेकर जो कहा है वो गलत है. इसपर गोयल ने सुमेर सिंह सलकान के फैसले का हवाला दिया. गोयल ने कहा कि चार्जशीट 31 दिसंबर को दाखिल की गई थी और उसी दिन लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था. चार्जशीट एफसीआर के प्रावधान के तहत दाखिल की गई है. जांच के दौरान कोई लुकआउट सर्कुलर जारी नहीं किया गया था. ऐसे में ये कहना सही नहीं है कि लुकआउट सर्कुलर जारी करने में कोई पक्षपात किया गया है. इसके अलावा कोर्ट ने जो अवलोकन किया है, वो नहीं होना चाहिए था. बता दें कि 7 अप्रैल को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पवन कुमार ने सीबीआई के निदेशक को निर्देश दिया था कि पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने में अधीनस्थ अधिकारियों ने गलती की है और इसलिए सीबीआई निदेशक लिखित रुप से माफी मांगें.

यह भी पढ़ें-आकार पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस पर फैसला सुरक्षित

एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि लुकआउट सर्कुलर जारी करने के अधिकार का मनमाना तरीके से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. इसके पीछे कोई ठोस वजह होनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सीबीआई निदेशक से उम्मीद जताई कि वो उन अधीनस्थ अधिकारियों को इसके लिए संवेदनशील बनाएं, जिन्होंने लुकआउट सर्कुलर जारी किया था. साथ ही उन अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए. मजिस्ट्रेट ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने अपने नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की है जिसके लिए वे सक्षम अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. वहीं पटेल के खिलाफ सूरत की निचली अदालत में एक बीजेपी विधायक पूर्णेशभाई ईश्वरभाई मोदी ने शिकायत कर रखी है. बता दें कि 19 फरवरी को सूरत की कोर्ट ने आकार पटेल को विदेश जाने की इजाजत देते हुए पासपोर्ट देने का आदेश दिया था. वहीं सीबीआई ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ एफसीआरए के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर आकर पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस जारी किया था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details