चेन्नई : तमिलनाडु विधानसभा में सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करके कर्नाटक सरकार के कावेरी नदी पर मेकेदातु बांध परियोजना (Mekedatu dam project) के साथ आगे बढ़ने के 'एकतरफा' फैसले की निंदा की गई और केंद्र से प्रस्ताव को अस्वीकार करने का अनुरोध किया गया. तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने प्रस्ताव पेश किया और पड़ोसी राज्य पर दशकों से तमिलनाडु के लिए समस्याएं खड़ी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कर्नाटक का उच्चतम न्यायालय के फैसले का 'अनादर करते हुए' बांध (संतुलन जलाशय) परियोजना पर आगे बढ़ने का निर्णय निंदनीय है.
उन्होंने कहा, 'संघवाद कहां है? यहां एक राज्य है जो शीर्ष अदालत के आदेश का अनादर कर रहा है और तमिलनाडु को उसके हिस्से के पानी की पूरी मात्रा जारी नहीं की गयी है. अगर हमने एकजुट होकर संघर्ष नहीं किया तो हमें अपने अधिकारों से हाथ धोना पड़ सकता है और आने वाली पीढ़ियां इसके लिए हमें कोसेंगी.'
उन्होंने राजनीतिक दलों से पार्टी मतभेदों से ऊपर उठकर प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की. इस मुद्दे पर केंद्र पर तमिलनाडु के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकारों, चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा, ने कर्नाटक को तमिलनाडु के हितों के विपरीत काम करने से नहीं रोका.
प्रस्ताव, अन्नाद्रमुक और भाजपा सहित सभी दलों के सर्वसम्मत समर्थन से पारित हुआ. इसमें परियोजना पर आगे बढ़ने, धन आवंटित करने के लिए कर्नाटक की निंदा की गई और केंद्र से पर्यावरण मंजूरी के लिए उस राज्य की याचिका पर विचार नहीं करने और इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अस्वीकार करने की अपील की गई. प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार को कर्नाटक को सलाह देनी चाहिए कि वह तटवर्ती राज्यों की सहमति के बिना कोई भी परियोजना शुरू न करे.