चेन्नई:तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच एक बार फिर मेकेदातु प्रोजेक्ट का मुद्दा गरमा गया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने बीते शनिवार को तमिलनाडु के समकक्ष एमके स्टालिन को पत्र लिखकर उनसे जलाशय परियोजना का विरोध नहीं करने का आग्रह किया है. तो वहीं अब तमिलनाडु में विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक ने गुरुवार को पड़ोसी राज्य कर्नाटक को चेतावनी दी है कि अगर वह मेकेदातु बांध परियोजना के निर्माण पर आगे बढ़ता है, तो वह विरोध प्रदर्शन करेगा, जिसे पार्टी तमिलनाडु को रेगिस्तान में बदलने के प्रयास के रूप में देखती है.
इसके साथ ही कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की कावेरी नदी के पार जलाशय परियोजना को आगे बढ़ाने की कथित टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई. विपक्ष के नेता के पलानीस्वामी ने कहा कि पड़ोसी राज्य को निचले तटीय राज्यों के हितों के खिलाफ काम नहीं करना चाहिए.
अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के अनुसार कर्नाटक को नदी के प्राकृतिक प्रवाह को रोकने या बदलने का कोई अधिकार नहीं है. पलानीस्वामी ने यहां एक बयान में कहा कि यहां तक कि कावेरी जल विवाद पर अंतिम फैसला भी स्पष्ट है कि निचले तटवर्ती राज्यों की मंजूरी के बिना कोई भी सिंचाई परियोजना शुरू नहीं की जानी चाहिए. ऐसे में कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की घोषणा तमिलनाडु के हितों के खिलाफ गई. उन्होंने दावा किया कि मेकेदातु में कावेरी के पार जलाशय परियोजना के निर्माण का कोई भी कदम सिंचाई और पीने के लिए कावेरी के पानी पर निर्भर तमिलनाडु को रेगिस्तान में बदलने की कोशिश करेगा.