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Manipur Effect : मिजोरम से मैतेई समुदाय का पहला जत्था मणिपुर रवाना - meitei living in mizoram

मिजोरम में रहने वाले मैतेई समुदाय के लोग भय के कारण मणिपुर जा रहे हैं. 58 लोगों का पहला बैच वहां से रवाना हो गया. मिजोरम में कुकी समुदाय के लोग शरण ले रहे हैं. आशंका जताई गई है कि इससे मैतेई समुदाय पर खतरा उत्पन्न हो गया है. हालांकि, राज्य सरकार ने सुरक्षा का पूरा आश्वासन दिया है. सरकार ने कहा कि किसी को भी माइग्रेट करने की कोई जरूरत नहीं है.

Manipur (File Photo)
मणिपुर, (फाइल फोटो)

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Published : Jul 23, 2023, 7:34 PM IST

नई दिल्ली/आइजोल : मिजोरम सरकार को रविवार को उस समय शर्मिंदगी उठानी पड़ी, जब एलायंस एयरलाइंस की आइजोल-इम्फाल-सिलचर उड़ान में कम से कम 58 मैतेई लोग आइजोल से रवाना हुए. सूत्रों ने बताया कि आज आइजोल और इम्‍फाल के बीच किसी अतिरिक्त उड़ान की व्यवस्था नहीं की गई. मिजोरम गृह विभाग ने कथित तौर पर राज्य में रहने वाले मैतेई लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि उन्‍हें कोई "खतरा नहीं है" और उनके लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी.

मणिपुर में ज़ो और कुकी समुदायों के मैतेई के साथ जारी संघर्ष के बाद मिजोरम में मैतेई समुदाय के लोगों में डर समा गया है क्‍योंकि जो और कुकी के मिजोरम के बहुसंख्‍यक मिज़ोस के साथ जातीय संबंध हैं. मिज़ोरम सरकार ने पहले ही मैतेई समुदाय के लिए सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया था.

आइजोल पुलिस के उत्तरी रेंज के आईपीएस लालियानमाविया ने कहा, "मणिपुर में दो आदिवासी कुकी-ज़ोब्रूली हमले के हालिया वायरल वीडियो के खिलाफ सार्वजनिक आक्रोश के बाद तनाव बढ़ने की आशंका के मद्देनजर आइजोल में मैतेई लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा-व्यवस्था की गई है."

वास्तव में, गैर-राजनीतिक लेकिन प्रभावशाली संस्था, पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज़ एसोसिएशन (पीएएमआरए) ने एक बयान में कहा, "मिजोरम में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है और मणिपुर में उपद्रवियों द्वारा किए गए बर्बर और जघन्य कृत्यों के मद्देनजर मणिपुर के मैतेई लोगों के लिए मिजोरम में रहना अब सुरक्षित नहीं है."

आइजोल में नागरिक समाज के नेताओं का कहना है कि मिजोरम राज्य की राजधानी और अन्य स्थानों पर अच्छी संख्या में मैतेई समुदाय के लोग - हिंदू, मुस्लिम और ईसाई भी रहते हैं. आइजोल और उसके आसपास बड़ी संख्या में मैतेई लोग मोटर मैकेनिक और ऑटो-पार्ट्स व्यवसाय में हैं.

मिजोरम में भाजपा के सहयोगी जोरमथांगा के नेतृत्व वाले एमएनएफ सहित राजनीतिक ताकतों ने भी वर्तमान मिजोरम राज्‍य, म्यांमार के कुछ हिस्सों और मणिपुर के कुकी-प्रभुत्व वाले पहाड़ी जिलों को शामिल करते हुए 'ग्रेटर मिजोरम' की मांग को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है.

मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा के बाद 12 हजार से ज्‍यादा कुकी-ज़ो लोग मणिपुर से भाग कर मिजोरम चले गए हैं और वहां विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं. एमएनएफ के नेतृत्व वाली मिजोरम सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से "मणिपुर के हजारों आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (आईडीपी), यानी कुकी" को राहत प्रदान करने के लिए पांच करोड़ रुपये मंजूर करने का अनुरोध किया है.

मिजोरम गृह विभाग आइजोल और मिजोरम के अन्य स्थानों से मैतेई लोगों के 'रिवर्स माइग्रेशन' के खिलाफ है. स्पष्ट रूप से परेशान मिजोरम के गृह आयुक्त एच. लालेंगमाविया ने पीएएमआरए पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की और अफसोस जताया कि उनके संदेश की 'गलत व्याख्या' की गई.

पीएएमआरए यह भी स्पष्ट किया की कि यह 'खतरा नहीं' था बल्कि मैतेई लोगों की सुरक्षा के लिए केवल 'चिंता' की अभिव्यक्ति थी. एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, "हमने संकल्प लिया है कि पीएएमआरए अपना बयान वापस ले लेगा."

मिजोरम गृह विभाग ने भी शनिवार को एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि गृह आयुक्त ने ऑल मिजोरम मणिपुरी एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया, जिसमें मिजोरम में मैतेई लोगों को "अफवाहों से गुमराह न होने" की सलाह दी गई है.

एक टेलीफोनिक बातचीत में, मिजोरम के मुख्यमंत्री और एमएनएफ नेता ज़ोरमथांगा ने अपने मणिपुर समकक्ष एन. बीरेन सिंह को मिजोरम में मेइतियों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है. एमएनएफ भी भाजपा की सहयोगी है और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का हिस्सा है. मणिपुर में 3 मई को मेइती और कुकी और ज़ो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए.

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(आईएएनएस)

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