बेंगलुरु: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि कर्नाटक के लोगों ने हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा चुनावों में फासीवादी, सांप्रदायिक और विभाजनकारी भारतीय जनता पार्टी को हराकर पूरे देश को उम्मीद की किरण दिखाई है. मुफ्ती ने इसके लिए कर्नाटक के लोगों की सराहना भी की. हालांकि, उन्होंने दिल्ली के हालिया घटनाक्रम के प्रति लोगों को आगाह करते हुए कहा कि यह सभी के लिए एक खतरे की घंटी है, क्योंकि ऐसा देश में कहीं भी हो सकता है.
मुफ्ती ने कहा कि वह तब तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी, जब तक कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल नहीं किया जाता. हालांकि उनकी पार्टी पीडीपी चुनाव लड़ेगी. मुफ्ती ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कर्नाटक ने पूरे देश को उम्मीद की किरण दिखाई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा का हर नेता कर्नाटक चुनाव में धर्म का सहारा ले रहा था, लेकिन फिर भी लोगों ने उन्हें सत्ता से बाहर का रास्त दिखा दिया.
मुफ्ती 20 मई को राष्ट्रपति द्वारा पारित एक अध्यादेश का जिक्र कर रहीं थी, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली में (केंद्र सरकार द्वारा नामित) सिविल सेवकों के खिलाफ स्थानांतरण, तैनाती और अनुशासनात्मक कार्यवाही की निगरानी के अधिकार दिए गए हैं. गौरतलब है कि अध्यादेश जारी किए जाने से महज एक सप्ताह पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था.
इस अध्यादेश ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख मुफ्ती ने बेंगलुरु में पत्रकारों से कहा कि दिल्ली में जो कुछ भी हुआ वह सभी के लिए एक खतरे की घंटी है. जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हुआ, वह पूरे देश में होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि भाजपा कोई विपक्ष नहीं चाहती. दिल्ली सरकार को शक्तिहीन कर दिया गया है. यह सभी के साथ होने वाला है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की नींव रखी. मुफ्ती ने कहा कि पिछले पांच साल से नफरत तथा सांप्रदायिक राजनीति का प्रकोप रहा है. यहां भी कर्नाटक में बांटने की राजनीति की गई. अब सिद्धरमैया और डी. के. शिवकुमार इन घावों पर मरहम लगाएंगे. मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विभाजनकारी और सांप्रदायिक राजनीति झेलने वाला पहला राज्य था, लेकिन कर्नाटक के लोगों ने भाजपा को सत्ता से निकालने के लिए वोट दिया.