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पर्यावरण बचाने के लिए बचपन में छोड़ा घर, जानें कौन हैं विष्णु लांबा - श्री कल्पतरु संस्थान

श्री कल्पतरु संस्थान के संस्थापक विष्णु लांबा 27 सालों से पर्यावरण को बचाने का काम कर रहे हैं. उनके इस कार्य के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उन्हें 'ट्री मैन ऑफ इंडिया' की संज्ञा भी दे चुके हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से...

vishnu lamba
विष्णु लांबा

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Published : May 19, 2022, 10:26 PM IST

पुणे : पर्यावरण में तेजी से आ रहे परिवर्तन के कारण सभी जीव-जंतु इससे प्रभावित हो रहे हैं. पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जहां एक ओर ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं, वहीं पशु पक्षियों को छांव तलाशना भी मुश्किल होता जा रहा है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए श्री कल्पतरु संस्थान के संस्थापक विष्णु लांबा 27 सालों से न सिर्फ पेड़ लगा रहे हैं, बल्कि पक्षियों एवं पेड़ों पर रहने वाले अन्य जीवों के लिए घरौंदों का भी इंतजाम कर रहे हैं. पर्यावरण के लिए समर्पित विष्णु को उनके कार्यों के चलते पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उन्हें 'ट्री मैन ऑफ इंडिया' की संज्ञा भी दे चुके हैं.

विष्णु लांबा से खास बातचीत

विष्णु को बचपन से ही पेड़ लगाने का शौक था. तब उन्हें कुछ लोग पौधा चोर कहकर भी बुलाते थे. आज विष्णु और उनके श्री कल्पतरु संस्थान के संयुक्त प्रयास से अब तक देश के विभिन्न क्षेत्रों में 50 लाख से भी ज्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं. इतना ही नहीं, उनके संस्थान द्वारा अब तक पक्षियों के लिए 20 लाख से भी अधिक घरौंदे लगाए जा चुके हैं. आज उनके संस्थान से करीब 7.5 लाख पर्यावरण प्रेमी जुड़े हुए हैं, जो देश के 22 राज्यों में पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं. ये लोग वनों की कटाई, जानवरों की हत्या, नदी और जल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर भी काम करके समाज को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं.

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विष्णु बताते हैं कि पर्यावरण के लिए काम करने के साथ वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ अब तक 47 मामले दर्ज करा चुके हैं. इसके साथ ही वह राज्य सरकारों के साथ कई अभियानों पर काम भी कर चुके हैं. अपने इस काम के लिए विष्णु ने बचपन में ही घर छोड़ दिया था, लेकिन बावजूद इसके वे अपने त्याग को जारी रखते हुए पर्यावरण संरक्षण के मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं. पर्यावरण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए वह अबतक राजीव गांधी पर्यावरण पुरस्कार, अमृता देवी पुरस्कार सहित 150 से भी अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं. अब उनका मिशन भारत के बाद अन्य देशों में पर्यावरण के लिए काम करने का है, जिसकी उन्होंने शुरुआत भी कर दी है.

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