हैदराबाद : चंद्रमा की जीतने के बाद इसरो अब सूर्य के रहस्यों का पता लगाने के लिए आदित्य-L1 को लांच करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. निगार शाजी आदित्य L1 प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रही हैं. उन्होंने लांच से पहले ईटीवी भारत से बात की. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-C57 (पीएसएलवी) के माध्यम से श्रीहरिकोटा रॉकेट केंद्र से आदित्य-L1 उपग्रह को अंतरिक्ष में भेज रहा है. यह हमारे भारत से L1 केंद्र पर भेजा जाने वाला पहला अंतरिक्ष मिशन है.
किसान परिवार से आने वाली निगार शाजी का गृहनगर तमिलनाडु के थेनकासी जिले का सेनगोट्टई कस्बा है. उनके माता-पिता शेख मीरान और सैतून बीवी हैं. पिता ने स्नातक तक की पढ़ाई की थी और वह खेती से जुड़े थे. जबकि उनकी मां घर संभालती हैं. शाजी ने इंटर तक की पढ़ाई एसआरएम गर्ल्स स्कूल, सेनगोट्टई से की. फिर उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में इंजीनियरिंग में बीटेक करने के लिए मदुरै के कामराज विश्वविद्यालय के तिरुनेलवेली सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज कॉलेज में दाखिला लिया. इसके बाद उन्होंने झारखंड की राजधानी रांची स्थित बीआईटी से एमई की डिग्री हासिल की.
ईटीवी से बात करते हुए निगार ने कहा कि एमई की डिग्री मिलने के कुछ ही समय बाद इसरो ने नौकरी के लिए विज्ञापन निकाला. जिसमें निगार ने आवेदन किया. साल 1987 में उनका चयन इसरो के लिए हो गया है. निगार ने बताया कि उनकी शुरुआती नियुक्ति इसरो के प्रमुख केंद्र सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SHAAR) में हुई थी. कुछ समय तक यहां काम करने के बाद उनका स्थानांतरण बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में हो गया. वहां विभिन्न पदों पर काम करते हुए उन्होंने आदित्य-एल1 परियोजना निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला.
इससे पहले, वह विभिन्न पदों पर भारतीय रिमोट सेंसिंग, संचार और अंतरग्रहीय उपग्रहों के डिजाइन में शामिल रहीं हैं. उन्होंने राष्ट्रीय संसाधन निगरानी और प्रबंधन के लिए इसरो द्वारा शुरू किए गए भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह रिसोर्ससैट-2ए के लिए एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया. इन प्रयोगों में उन्होंने इमेज सेंसिंग, सिस्टम इंजीनियरिंग और अंतरिक्ष इंटरनेट कार्यप्रणाली जैसे प्रमुख पहलुओं से संबंधित शोध पत्र प्रस्तुत किए.