मेरठ:पश्चिमी यूपी का बहुचर्चित मलियाना नरसंहार मामला अब एक बार फिर सुर्खियों में है. जिन 39 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में मेरठ में निचली अदालत ने मार्च 2023 में बरी कर दिया था, अब हाईकोर्ट में पीड़ित परिवारों की तरफ की गई अपील के बाद सभी आरोपियों से उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस जारी हो चुका है. इसको वादी पक्ष बड़ी उपलब्धि मान रहा है. मलियाना नरसंहार में 72 लोगों की हत्या हुई थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने भी पीड़ितों की तरफ से आरोपियों को बरी करने के आदेश को चुनौती दी है.
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) सचिन मोहन ने मंगलवार को बताया कि राज्य सरकार ने अपर जिला न्यायाधीश लखविंदर सिंह सूद की अदालत के 31 मार्च 2023 के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. इसमें मेरठ के मलियाना नरसंहार मामले में सभी 39 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था. इससे पीड़ित पक्ष को झटका लगा था. लेकिन, वादी पक्ष ने हार नहीं मानी और इस मामले में हाईकोर्ट का रुख किया था.
मलियाना नरसंहार मामले में हाईकोर्ट में दो अपीलें की गई थीं
इस मामले में मार्च 2023 में दो अलग-अलग अपील हाईकोर्ट में की गई थीं. पिछले दिनों इस मामले को हाईकोर्ट में सुना गया और उसमें हिंसा के आरोपियों के विरुद्ध नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया. इससे वादी पक्ष जहां संतुष्ट है, वहीं अब बचाव पक्ष के लिए यह खबर टेंशन देने वाली है. मलियाना हिंसा मामले में पीड़ित परिवारों की तरफ से पैरवी करने वाले एडवोकेट रियासत अली ने कहा कि इस मामले में अब प्रदेश सरकार ने पीड़ित परिवारों की तरफ से भी अपील दायर कर दी है. बता दें कि इससे पहले दो पीड़ित परिवारों द्वारा अपील की गई थी. एडवोकेट रियासत अली ने बताया कि इस मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में हाईकोर्ट में होगी. बता दें कि 1987 में मेरठ के मलियाना में हुई हिंसा में 72 लोगों की जान गई थी. लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया था. इस मामले में 36 साल तक निचली अदालत में मुकदमा चला था. करीब 900 बार से अधिक तारीखें कोर्ट में पड़ी. मार्च 2023 में अदालत ने अपना फैसला सुनाया और सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.
निचली अदालत में आरोपियों के बरी होने पर हाईकोर्ट गए थे : रियासत अली
एडवोकेट रियासत अली कहते हैं कि निचली अदालत में आरोपियों को बरी करने के खिलाफ वह हाईकोर्ट गए थे. जहां दो अलग-अलग अपील डाली गईं. इसमें से एक याचिका इस घटना में घायल हुए रईश अहमद की तरफ से डाली गई थी, जबकि दूसरी अपील मुकदमे के वादी याकूब सिद्दीकी और वकील अहमद द्वारा हाईकोर्ट में डाली गई थी. इस मामले में हाईकोर्ट में पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान निचली अदालत से रिकॉर्ड तलब करने का आदेश दिया गया था. इसके बाद अब लोअर कोर्ट की एक फाइल उच्च न्यायालय पहुंच चुकी है. अब इस मामले में ये आदेश दिया जा चुका है कि जितने भी आरोपी हैं, उन्हें नोटिस जारी कर हाईकोर्ट में तलब किया जाए और वह कोर्ट में आकर अपना पक्ष रखें.
रियासत अली ने कहा- साक्ष्यों के अधार पर लड़ रहे इंसाफ की लड़ाई