मेरठ : जिले के कीनानगर गांव के रहने वाले दंपत्ति का झाड़ू का कारोबार कई महिलाओं को संबल बना रहा है. गांव की महिलाएं भी इससे जुड़कर तरक्की की राह पर निकल पड़ी हैं. इस कारोबार की शुरुआत बेहद कम पूंजी में की गई थी. अब यह काम चल निकला है. कारोबारी दंपत्ति खुद तो कमाई कर ही रहे हैं, गांव के बेरोजगार लोगों को भी इससे जोड़ रहे हैं. दंपत्ति का यह स्टार्टअप इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.
प्रशिक्षण लेकर शुरू किया काम :कीनानगर गांव के अजीत और उनकी पत्नी शिल्पा ने झाड़ू बनाने का काम शुरू किया है. झाडू निर्माता और समूह संचालिका शिल्पा ने बताया कि केनरा आरसेटी की ओर से प्रशिक्षण संस्थान (Rural Self Employment Training Institute ) से ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने झाडू बनाने काम शुरू किया. घर के एक कमरे में बैठकर करीब दस हजार रुपये की पूंजी लगाकर यह काम शुरू किया. पहले खुद झाड़ू बनाकर उसे बेचने लगे. वक्त के साथ-साथ खपत बढ़ती गई तो गांव की महिलाओं को भी इससे जोड़ना शुरू किया. गांव की आठ से 10 महिलाएं भी झाड़ू बनाने के काम में लगी हैं. इसके जरिए वे भी आत्मनिर्भर बन रहीं हैं.
खपत बढ़ने पर महिलाओं को भी जोड़ा :अजित ने बताया कि उनकी पत्नी शिल्पा पढ़ी लिखी हैं. वह कुछ करना चाहती थीं. मैं खुद प्राइवेट नौकरी कर रहा था. इसी से घर का खर्च चलता था. प्रशिक्षण के बाद इरादा बना लिया कि अब झाड़ू बनाने का काम ही करना है. गांव की महिलाओं को रोजगार भी देना है. पहले हम लोग खुद झाड़ू बनाते, और इसे बेचते भी थे. बाद में खपत बढ़ने पर गांव की महिलाओं को भी इससे जोड़ दिया गया. महिलाओं को प्रति झाड़ू दो रुपये भुगतान किया जाता है. बाजार में इन्हें बेचा जाता है. झाडू तैयार करने के लिए कच्चा माल दिल्ली और पश्चिम बंगाल से आता है.