नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय की एक पीठ के मामलों को सूचीबद्ध करने की नई प्रणाली की आलोचना करने से जुड़ी मीडिया में आई खबरें 'सही नहीं' हैं और शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीश इस पर एक राय रखते हैं.
भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर 27 अगस्त को पदभार ग्रहण करने वाले न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि शीर्ष अदालत ने मामलों को सूचीबद्ध करने की एक नई प्रणाली अपनाई है और शुरुआत में कुछ समस्याएं होना तय है. न्यायमूर्ति ललित ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा सीजेआई बनने पर उन्हें सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, 'लिस्टिंग और अन्य चीजों सहित हर चीज के बारे में बहुत सी बातें कही गई हैं.
मैं स्पष्ट कर दूं कि यह सच है कि हमने यह नई शैली, सूचीबद्ध करने का एक नया तरीका अपनाया है. स्वाभाविक रूप से कुछ समस्याएं हैं. जो कुछ भी रिपोर्ट किया गया है वह सही स्थिति नहीं है. हम सभी न्यायाधीश पूरी तरह से इसे लेकर एक राय रखते हैं.' न्यायमूर्ति ललित स्पष्ट रूप से मीडिया में आई उन खबरों का हवाला देते हुए दावा कर रहे थे कि शीर्ष अदालत की एक पीठ ने वर्षों से लंबित मामलों के त्वरित निपटान के लिए नए सीजेआई द्वारा शुरू की गई मामलों को सूचीबद्ध करने की एक नई प्रणाली पर अपने न्यायिक आदेश में नाराजगी व्यक्त की है.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने एक आपराधिक मामले में जारी आदेश में कहा है, 'मामलों को सूचीबद्ध करने की नयी प्रणाली मौजूदा मामले की तरह के मुकदमों की सुनवाई के लिए पर्याप्त समय नहीं दे पा रही है, क्योंकि ‘भोजनावकाश के बाद के सत्र’ में कई मामले सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं.'
न्यायमूर्ति कौल वरीयता क्रम में उच्चतम न्यायालय के तीसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 29 अगस्त को जबसे मामलों को सूचीबद्ध करने की नई प्रणाली शुरू हुई तबसे 14 सितंबर तक शीर्ष अदालत ने 1,135 नई याचिकाओं के मुकाबले 5,200 मामलों का फैसला किया. न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के अन्य साथी न्यायाधीशों और वकीलों द्वारा किए गए प्रयासों के कारण संभव हुआ है.