नई दिल्ली:बड़ी संख्या में आईएएस अधिकारियों द्वारा वार्षिक अचल संपत्ति का ब्योरा दाखिल नहीं करने का उल्लेख करते हुए एक संसदीय समिति ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से कहा है कि वह इस पर गौर करने के लिए एक समिति बनाए और नौकरशाहों द्वारा दाखिल संपत्ति के ब्योरे की सत्यता की जांच के लिए एक तंत्र भी स्थापित करे. कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय पर विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1,393 अधिकारियों ने 2011 से 2022 की अवधि में अपनी संपत्ति का ब्योरा दाखिल नहीं किया.
हाल ही में संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है, 'लोक प्रशासन में भ्रष्टाचार के व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए समिति केंद्र सरकार से सिफारिश करती है कि लोक सेवकों द्वारा वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न जमा नहीं करने के मुद्दे की विस्तार से जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया जाए.' समिति ने कहा कि डीओपीटी को लोक सेवकों द्वारा दाखिल संपत्ति के ब्योरे की सत्यता की जांच करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए.
इसमें कहा गया है कि भारत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएसी) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो सरकारों को भ्रष्टाचार की रोकथाम के उद्देश्य से प्रभावी प्रथाओं को स्थापित करने और बढ़ावा देने की बात करती है. समिति ने कहा कि डीओपीटी भ्रष्टाचार निरोधक विभाग का नोडल विभाग है, जिसमें यूएनसीएसी से संबंधित मामले भी शामिल हैं. समिति ने अखिल भारतीय सेवा (एआईएस)-भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के एक दंपति की एक ही स्थान पर तैनाती का मामला भी उठाया और इस संबंध में उचित दिशा-निर्देश तैयार करने का सुझाव दिया.