नई दिल्ली :विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के बांध के निर्माण की निगरानी कर रहा है. साथ ही सामने आई मीडिया रिपोर्ट्स पर ध्यान दिया गया है. एक वर्चुअल मीडिया ब्रीफिंग के दौरान MEA के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि चीन ने हमें आश्वासन दिया है वह केवल पनबिजली परियोजनाओं के लिए पानी ले रहे हैं. इसमें पानी का डायवर्जन शामिल नहीं है.
उन्होंने कहा कि हमने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि निचले प्रवाह क्षेत्रों में राज्यों के हित को नुकसान न पहुंचे. चीनी पक्ष ने कई अवसरों पर हमें बताया कि वे केवल जल विद्युत परियोजनाओं का संचालन करने के लिए पानी का उपयोग कर रहे हैं, इसमें ब्रह्मपुत्र की नदियों को शामिल नहीं किया गया है.
इससे पहले चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की अपनी योजना के बारे में बृहस्पतिवार को कहा कि इस परियोजना को लेकर किसी तरह से चिंतित होने की जरूरत नहीं है और नदी के निचले प्रवाह क्षेत्र वाले देशों-भारत तथा बांग्लादेश के साथ बीजिंग का 'अच्छा संवाद' जारी रहेगा.
ब्रह्मपुत्र नदी पर तिब्बत के मीदोंग में बांध बनाने की चीन की योजना का खुलास चीन के पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के अध्यक्ष यान झियोंग ने हाल ही में एक सम्मेलन में किया था. तिब्बत की सीमा अरूणाचल प्रदेश से लगी हुई है.
विश्व की सबसे बड़ी नदियों में शामिल और 3,800 किमी से अधिक लंबी ब्रह्मपुत्र नदी चीन, भारत और बांग्लादेश से होकर गुजरती है तथा इसकी कई सहायक एवं उप सहायक नदियां हैं.
ग्लोबल टाइम्स में रविवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक यान ने कहा कि चीन यारलुंग झांगबो नदी (ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम) के निचले प्रवाह क्षेत्र में पनबिजली पैदा करेगा और यह परियोजना जल संसाधन एवं घरेलू सुरक्षा प्रदान करने में मदद कर सकती है.
अरूणाचल प्रदेश, जहां ब्रह्मपुत्र भारत में प्रवेश करती है, के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक नदी पर बांध बनाने की चीन की योजना के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीमा के दोनों ओर बहने वाली नदियों के उपयोग का जहां तक सवाल है, यारलुंग जांगबो के निचले प्रवाह क्षेत्र वाले हिस्से में पनबिजली परियोजना लगाना चीन का वैध अधिकार है.
हुआ ने कहा, 'हमारी नीति विकास और संरक्षण की है तथा सभी परियोजनाएं विज्ञान आधारित योजना के अनुरूप होंगी और नदी के निचले प्रवाह क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव पर पूरा विचार कर आकलन किया जाएगा तथा नदी के ऊपरी एवं निचले प्रवाह क्षेत्रों के हितों को समायोजित किया जाएगा.'
उल्लेखनीय है कि सीमा पार से बह कर आने वाली नदियों के जल के उपयोग का अधिकार रखने को लेकर भारत सरकार ने निरंतर ही चीनी अधिकारियों को अपने विचारों और चिंताओं से अवगत कराया है. साथ ही, उनसे यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि नदी के ऊपरी प्रवाह क्षेत्र में किसी गतिविधि से इसके निचले प्रवाह क्षेत्र वाले देशों को नुकसान नहीं हो.