नई दिल्ली : भारत ने कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगुवाई में शुरू वैश्विक अध्ययन को पहला महत्वपूर्ण कदम बताया है. उन्होंने कहा कि इसके बारे में ठोस निष्कर्ष तक पहुंचने एवं आगे आंकड़ा जुटाने के लिए अगले चरण के अध्ययन की जरूरत है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में यह बात कही. उन्होंने कहा, डब्ल्यूएचओ द्वारा कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में वैश्विक अध्ययन पहला महत्वपूर्ण कदम है. यह इस बारे में ठोस निष्कर्ष तक पहुंचने एवं आगे और आंकड़े जुटाने के लिये अगले चरण के अध्ययन की जरूरत को रेखांकित करता है.
बागची ने कहा कि डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई तथा आगे अध्ययन में सभी के सहयोग एवं समझ की जरूरत है. गत मार्च में विश्व डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर चीन के वैज्ञानिकों के साथ संयुक्त रूप से लिखी गई एक रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया था कि इसके किसी प्रयोगशाला में शुरू होने की संभावना बेहद कम है. डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों द्वारा चीन में महामारी के केंद्र वुहान सहित अन्य स्थानों पर अभियान के संचालल के तौर तरीकों तथा बीजिंग से पर्याप्त सहयोग की कमी को लेकर अमेरिका और कुछ अन्य देशों ने चिंता जताई है.
खबरों के अनुसार, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदहानोम गेब्रिएसस ने भी इसपर सहमति व्यक्त की है कि वायरस की उत्पत्ति को लेकर आगे और अध्ययन की आवश्यकता है. इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश की खुफिया एजेंसियों से घातक कोविड-19 वैश्विक महामारी के उद्भव का पता लगाने के अपने प्रयासों को और अधिक तेज करने तथा 90 दिनों के भीतर इसपर उन्हें रिपोर्ट सौंपने को कहा है. अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ से कोरोना वायरस के संबंध में दूसरे चरण का अध्ययन करने की मांग की है.
कोरोना वायरस की उत्पत्ति पर ठोस निष्कर्ष के लिए अध्ययन जरूरी : विदेश मंत्रालय
भारत ने कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगुवाई में शुरू वैश्विक अध्ययन को पहला महत्वपूर्ण कदम बताया है. उन्होंने कहा कि इसके बारे में ठोस निष्कर्ष तक पहुंचने एवं आगे आंकड़ा जुटाने के लिए अगले चरण के अध्ययन की जरूरत है.
विदेश मंत्रालय
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चीन ने गुरुवार को अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन पर कोरोना वायरस के उद्गम की दोबारा जांच कराने की मांग कर अपनी जिम्मेदारी से बचने और राजनीति करने का आरोप लगाया.