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भारत ने चीन के नये भूमि सीमा कानून की आलोचना की - चीन के नए सीमा कानून को अवैध करार दिया

चीन के नए 'भूमि सीमा कानून' पर विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने एक ऐसा कानून लाने का चीन का एकतरफा फैसले, जो सीमा प्रबंधन के साथ-साथ सीमा से संबंधित मुद्दों पर हमारी मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्थाओं पर प्रभाव डाल सकता है, हमारे लिए चिंता का विषय है.

चीन के नए सीमा कानून को अवैध करार दिया
चीन के नए सीमा कानून को अवैध करार दिया

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Published : Oct 27, 2021, 3:16 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 6:43 PM IST

नई दिल्ली :भारत ने चीन पर 'एकतरफा' ढंग से नया भूमि सीमा कानून लाने के लिये निशाना साधते हुए बुधवार को कहा कि यह चिंता का विषय है क्योंकि इस विधान का सीमा प्रबंधन पर वर्तमान द्विपक्षीय समझौतों तथा सीमा से जुड़े सम्पूर्ण प्रश्नों पर प्रभाव पड़ सकता है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि चीन कानून के परिप्रेक्ष में ऐसा कोई कदम उठाने से बचेगा, जिससे भारत चीन सीमा क्षेत्रों में स्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव आ सकता हो.

उन्होंने कहा कि ऐसे 'एकतरफा कदम' का दोनों पक्षों के बीच पूर्व में हुई व्यवस्थाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए चाहे सीमा का सवाल हो या वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अमन एवं शांति बनाये रखने का विषय हो.

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह चीन की संसद ने सीमावर्ती इलाकों के संरक्षण और उपयोग संबंधी एक नये कानून को अंगीकार किया है जिसका असर भारत के साथ बीजिंग के सीमा विवाद पर पड़ सकता है. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति के सदस्यों ने शनिवार को संसद की समापन बैठक के दौरान इस कानून को मंजूरी दी.

इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा, 'चीन का एकतरफा ढंग से कानून लाने के निर्णय का सीमा प्रबंधन पर हमारे वर्तमान द्विपक्षीय व्यवस्थाओं तथा सीमा से जुड़े सवालों पर प्रभाव पड़ेगा जो हमारे लिये चिंता का विषय है.'

इस बारे में मीडिया के सवालों पर बागची ने कहा,'हमें यह जानकारी है कि चीन ने 23 अक्टूबर को नया भूमि सीमा कानून पारित किया है. इस कानून में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ किये या संयुक्त रूप से स्वीकार किये समझौतों का पालन करेगा.'

उन्होंने कहा कि कानून में सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों का पुनर्गठन करने का भी प्रावधान है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन ने सीमा के सवालों का अभी तक समाधान नहीं निकाला है और दोनों पक्षों ने समानता पर आधारित विचार विमर्श के आधार पर निष्पक्ष, व्यवाहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की है.

उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन एवं शांति बनाये रखने के लिये कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल एवं व्यवस्थाएं चुके हैं.

यह भी पढ़ें- चीन का नया सीमा कानून भारत के लिए कितना बड़ा खतरा है ?

नए कानून से भारत को क्या हो सकती है प्रॉब्लम
भारत चीन के साथ करीब 3500 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. भारत के साथ मिलने वाले तकरीबन हर प्रमुख इलाकों जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में चीन भारतीय भूमि पर दावा करता रहा है. चीन ने कभी एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) का सम्मान नहीं किया.

जानकारों का मानना है कि चीन ऐसे विवाद पैदा करता है और पड़ोसियों का ध्यान बॉर्डर इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने से हटा देता है. अब नए कानून के तहत चीन खुलेआम बॉर्डर के पास नए शहर बसाएगा और बेसिक इन्फ्रास्ट्रकर भी मुहैया करेगा. ऐसे कदमों से सीमा क्षेत्र में विकास लाकर चीन अपनी सुरक्षा और संप्रभुता को और प्रबल करना चाहता है.

Last Updated : Oct 27, 2021, 6:43 PM IST

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