नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने गुरुवार को संसद के ऊपरी सदन में कहा कि भारत ने शहीद बेहेश्ती टर्मिनल, चाबहार पोर्ट के विकास के लिए 85 मिलियन अमरीकी डालर की कुल अनुदान सहायता और 150 मिलियन अमरीकी डालर की ऋण सुविधा की प्रतिबद्धता जताई है. केंद्र ने कहा, "शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल, चाबहार पोर्ट के बुनियादी ढांचे के विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, भारत ने 06 मोबाइल हबर क्रेन (दो 140 टन और चार 100 टन क्षमता) और 25 मिलियन अमरीकी डालर के अन्य उपकरणों की आपूर्ति की है." यह जानकारी विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी.
सांसद विवेक तन्खा ने मौद्रिक और गैर-मौद्रिक लाभों के बारे में राज्य मंत्री से पूछा, जो सरकार परियोजना से प्राप्त करने की योजना बना रही है. इस सवाल के जवाब में राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (IPGCFZ) के माध्यम से 24 दिसम्बर 2018 से चाबहार पोर्ट का संचालन अपने हाथ में ले लिया है. तब से, इसने 215 जहाजों, 16,000 टीईयू (बीस फुट समकक्ष इकाइयों) और 4 मिलियन टन बल्क और सामान्य कार्गो को संभाला है.
केंद्र ने कहा कि अब तक कुल 25 लाख टन गेहूं और दो हजार टन दालें चाबहार पोर्ट के जरिए भारत से अफगानिस्तान भेजी जा चुकी हैं. पोर्ट ने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान मानवीय सहायता की आपूर्ति की सुविधा प्रदान की है. भारत ने 2020 में अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहायता के रूप में 75,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल किया है. उन्होंने यह भी कहा कि 2021 में, भारत ने टिड्डियों के खतरे से लड़ने के लिए ईरान को 40,000 लीटर पर्यावरण के अनुकूल कीटनाशक की आपूर्ति की. बंदरगाह का उपयोग मध्य एशियाई देशों द्वारा वैश्विक बाजार तक पहुंचने के लिए भी किया गया है. इस क्षेत्र के व्यापारियों के लिए व्यापार और आर्थिक अवसरों में वृद्धि हुई है.