नई दिल्ली/चंडीगढ़ :मसाला ब्रांड एमडीएच के टेलीविजन विज्ञापनों के जरिए घर-घर में अपनी पहचान बनाने वाले 'एमडीएच के दादाजी' के नाम से मशहूर महाशय धर्मपाल गुलाटी ने तांगा बेचकर दिल्ली के करोल बाग से अपने मसाला कारोबार की शुरुआत की. वह लगातार आगे बढ़ते रहे और 94 वर्ष की उम्र में देश के एफएमसीजी क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन पाने वाले सीईओ बने.
सफलता की मिसाल कायम करने वाले मसाला किंग अब हमारे बीच नहीं रहे. उनका बृहस्पतिवार (3 दिसंबर 2020) को 97 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.
चंडीगढ़ से खास नाता
महाशय धर्मपाल का मसालों का कारोबार, तो दुनियाभर में फैला है, लेकिन चंडीगढ़ से उनका खास रिश्ता रहा है.
एमडीएच मसालों की वजह से ही चंडीगढ़ के रवि प्रकाश और महाशय धर्मपाल के बीच दोस्ती हुई थी. ये दोस्ती साल 1975 में हुई जब महाशय धर्मपाल मसालों के लिए चंडीगढ़ में डिस्ट्रीब्यूटर खोज रहे थे. तब से लेकर अब तक ये दोस्ती चली आ रही थी.
रवि प्रकाश बंसल ने महाशय धर्मपाल को याद करते हुए बताया कि वो कारोबार की दुनिया की एक चमकती हुई शख्सियत थे. उन्होंने अपने कारोबार को ईमानदारी और मेहनत के साथ आगे बढ़ाया. वो खुद भी यही कहते थे की अगर कोई ईमानदारी के साथ मेहनत करता है, तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता.
'महाशय धर्मपाल मेरे घर पर रुकते थे'
रवि प्रकाश ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि वो पंजाब की मंडियों में मसालों को बेचने के लिए अक्सर आया करते थे. उनकी महाशय धर्मपाल से मुलाकात हुई और तब से उनकी दोस्ती हो गई. इसके बाद जब भी धर्मपाल चंडीगढ़ आते, तो उनके घर पर ही रुकते थे.
'पहले मेहंदी बेची और अब दुनियाभर में मसाले'
रवि प्रकाश ने बताया कि महाशय धर्मपाल ने जिंदगी में कई दुख देखे. जैसे कम उम्र में उनकी पत्नी का देहांत हो गया. इसके बाद उनके जवान बेटे की मौत हो गई, लेकिन वो इन दुखों से हारे नहीं, बल्कि लगातार आगे बढ़ते रहे. उन्होंने गरीबी के दिन भी देखें जब वो पाकिस्तान के सियालकोट में रहते थे. तब वहां मेहंदी बेचने का काम करते रहे, लेकिन बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से दिल्ली आ गया. यहां पर उनके पिता जलजीरा बेचते थे. इसके बाद महाशय धर्मपाल ने मसाले बेचने का काम शुरू किया और दुनियाभर में अपने कारोबार को फैला लिया.
'उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है'
उन्होंने कहा ऐसे इंसान धरती पर कम ही आते हैं. जहां एक तरफ से अपने कारोबार को बुलंदियों पर पहुंचा रहे थे. वहीं दूसरी ओर मानवता की सेवा में भी आगे रहते थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में गरीब लोगों के लिए बहुत दान किया, अस्पताल बनवाए, गौशालाएं बनवाई. दिल्ली में माता चानन देवी नाम से एक बहुत बड़ा अस्पताल भी बनवाया. उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है.
विभाजन के बाद आए भारत
मसाला किंग धर्मपाल गुलाटी का जन्म सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में 27 मार्च 1923 को हुआ था और विभाजन के बाद वह भारत आ गए. उनका परिवार विभाजन के दौरान अपना सब कुछ छोड़कर दिल्ली में रहने आ गया.
उनके पिता की सियालकोट में मसालों की दुकान थी, जिसका नाम 'महाशियां दी हट्टी' (एमडीएच) था, लेकिन दुकान को 'देगी मिर्च वाले' के नाम से जाना जाता था.