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मवुनकल मामला: सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता- केरल हाईकोर्ट - केरल हाईकोर्ट केरल पुलिस

अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि इस मामले में पुलिस आरोपी का सहयोग कर रही है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आरोप होने की वजह से क्या राज्य के बाहर की एजेंसियों को भी जांच में शामिल किया जाए. इससे पूर्व केरल सरकार के द्वारा इस मामले में एक अधिकारी को निलंबित किया जा चुका है.

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Published : Nov 11, 2021, 9:25 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायाल ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से कहा कि प्राचीन वस्तुओं (Antiques) के स्वयंभू डीलर मॉनसन मवुनकल की गतिविधियों के मामले की जांच में उसके वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कथित संपर्कों की सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता.

न्यायमूर्ति दीवान रामचंद्रन ने कहा कि सच्चाई को किसी तरह दबाया नहीं जाए और उसके लिए अदालत जांच पर नजर रख रही है. उन्होंने सरकार और पुलिस से इस मामले की उपयुक्त जांच करने की बात कही.

अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि इस मामले में पुलिस आरोपी का सहयोग कर रही है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आरोप होने की वजह से क्या राज्य के बाहर की एजेंसियों को भी जांच में शामिल किया जाए. इससे पूर्व केरल सरकार के द्वारा इस मामले में एक अधिकारी को निलंबित किया जा चुका है.

अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भी इस मामले में एक पक्षकार बनाने का निर्देश दिया. राज्य और पुलिस की ओर से अदालत में पेश हुए अभियोजन महानिदेशक ने कहा कि उन्हें किसी अधिकारी के निलंबित होने की कोई सूचना नहीं मिली है लेकिन उन्होंने खबरों में देखा है कि पुलिस महानिरीक्षक जी. लक्ष्मण को मवुनकल की कथित सहायता करने को लेकर निलंबित कर दिया गया है.

अदालत प्राचीन वस्तुओं के डीलर के पूर्व चालक सह मैकेनिक की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसने मवुनकल और उसके करीबी पुलिस अधिकारियों पर खूद को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. उसने आरोप लगाया है कि मवुनकल के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में पुलिस के पास उसके द्वारा साक्ष्य पेश किये जाने के बाद उसे प्रताड़ित किया गया.

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अदालत ने सुनवाई के दौरान पुलिस से सवाल किया कि मवुनकल के खिलाफ प्राचीन वस्तुएं एवं कला संपत्ति अधिनियम 1972 के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जाए. न्यायमूर्ति दीवान रामचंद्रन ने पुलिस से कहा, ‘उसे (मवुनकल को) इस पूरी अवधि के दौरान खुला घूमने दिया गया और अब आपके पास उसके खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत बलात्कार के मामले हैं'.

बहरहाल, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को करने का फैसला लिया और इस बीच याचिकाकर्ता को प्रवर्तन निदेशालय को पक्षकार बनाने और अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
(पीटीआई-भाषा)

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