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Published : May 12, 2023, 5:44 PM IST

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मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बोले, 'द केरला स्टोरी' जैसी फिल्मों पर लगना चाहिए प्रतिबंध

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिम समाज से 'द केरला स्टोरी' फिल्म न देखने की अपील की. साथ ही यह भी कहा कि देश का कोई भी नागरिक फिल्म देखे या ना देखे, यह उसका मौलिक अधिकार है.

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मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बोले.

बरेली:'द केरला स्टोरी' फिल्म को ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बैन करने की मांग उठाई है. मौलाना रजवी ने फिल्म की कहानी को फर्जी बताया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की फिल्मों पर प्रतिबंध लगना चाहिए. साथ ही मुस्लिम समाज से फिल्म न देखने की अपील की है. मौलाना ने कहा कि इस तरह की फिल्मों से देश का माहौल खराब होता है. वैसे, फिल्म देखने का सबका अधिकार है. कोई भी कहीं देख सकता है.

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने 'द केरला स्टोरी' फिल्म की कहानी को लेकर कहा कि यह एक फर्जी कहानी है. इस फिल्म में दिखाई गई कहानी हकीकत से कोसों दूर है. इस तरह की कहानी दिखाना भी हमारे देश की आवाम के लिए सेहतमंद नहीं है. मौलाना ने सवाल उठाते हुए कहा कि फिल्म इंडस्ट्रीज के लोगों को ऐसी फिल्में बनाने से बचना चाहिए. इस फिल्म में कहा गया है कि 32 हजार गैर मुस्लिम लड़कियों को मुस्लिम बनाया गया है. साथ ही फिल्म में एक आतंकवादी संगठन का नाम भी लिया गया है. इतनी बड़ी संख्या में जोर और जबरदस्ती करके लड़कियों का धर्मांतरण कराया जा रहा है, तो वहां की हुकूमत क्या कर रही है. वहां के बड़े सरकारी अधिकारी क्या कर रहे हैं?

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई. आतंकवादी संगठन खासतौर से केरला में कैसे पनप गया. इस आतंकवादी संगठन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन, वहां के मुख्यमंत्री आंख बंद करके देखते रहे और यह सब काम होता रहा. उन्होंने कहा कि यह तो कुछ भी नहीं है. यहां सिर्फ एक कहानी के तौर पर देश का माहौल खराब किया जा रहा है. देश में हिंदूओं और मुसलमानों के बीच नफरत फैलाई जा रही है. ऐसी फिल्मों का बायकॉट कर प्रतिबंध लगना चाहिए.

हालांकि, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने यह भी कहा कि फिल्म देखने का हर किसी को अधिकार है. हर आदमी बनी हुई फिल्म को देख सकता है. इसमें किसी की मर्जी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है. देश में किसी की सोच पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है. देश का हर आदमी आजाद है. देश का हर आदमी फिल्म देखे या ना देखे, यह उसका मौलिक अधिकार है. उन्होंने मुस्लिम समाज से अपील करते हुए कहा कि इस तरह की फिल्मों को देखने से बचना चाहिए. इस तरह की फर्जी कहानी वाली फिल्मों को नहीं देखना चाहिए.

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