नई दिल्ली :मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट में मुसलमानों और पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ की गई बयानबाजी पर कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में केंद्र सरकार से एक्शन टेकेन रिपोर्ट तलब करने की मांग की गई है कि उसने मुसलमान और पैंगबर मुहम्मद को टारगेट करने वालों पर क्या कार्रवाई की. याचिका में मुस्लिम विरोधी भड़काऊ भाषणों से जुड़ी सभी शिकायतों को एक साथ सुनने और अदालत की निगरानी में इसकी जांच कराने की गुजारिश की गई है.
याचिका में मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने हरिद्वार और दिल्ली की उन घटनाओं का हवाला दिया गया है, जिसमें वक्ताओं ने मुसलमानों के नरसंहार की बात कही थी और पैगंबर मोहम्मद को निशाना बनाया था. गुरुग्राम में शुक्रवार की नमाज के खिलाफ अभियान और त्रिपुरा में रैलियों में मुसलमानों के खिलाफ बयान को भी याचिका का आधार बनाया गया है.
मौलाना महमूद असद मदनी ने दायर की सुप्रीम कोर्ट में याचिका, मुस्लिम विरोधी भड़काऊ भाषणों के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग - मुस्लिम विरोधी भड़काऊ भाषणों के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग
एक सामाजिक-धार्मिक संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद और एक सामाजिक कार्यकर्ता मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर देश भर में मुस्लिम विरोधी भड़काऊ भाषणों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. याचिका में केंद्र सरकार से एक्शन रिपोर्ट तलब करने की मांग की गई है कि उसने मुसलमान और पैगंबर मुहम्मद को टारगेट करने वालों पर क्या कार्रवाई की.
याचिका में कहा गया है कि ये घटनाएं बताती हैं कि भड़काऊ और अपमानजनक भाषणों के जरिये एक धार्मिक समुदाय पर हमला किया जा रहा है ताकि उन्हें धार्मिक प्रथाओं को छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सके. यह देश की प्रशासनिक प्रक्रिया को जवाबदेह ठहराए बिना छोड़ने का मामला नहीं हैं. आज के हालात को देखते हुए संविधान के तहत न्यायपालिका को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि अधिकारी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहे हैं. राजनीतिक और सामाजिक भेदभाव सिस्टम में शामिल हो गया है और इसका प्रभाव सभी कम्यूनिटी पर पड़ रहा है. बता दें कि हरिद्वार और दिल्ली की धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ दिए गए बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भी चीफ जस्टिस एन वी रमना को चिट्ठी लिखकर चिंता जताई थी.
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