बेंगलुरु :कर्नाटक की राजनीति में एक सीडी का रहस्य गहराता जा रहा है. राज्य में हुए कैबिनेट विस्तार के बाद से अचानक इसको लेकर चर्चा का दौर शुरू हो गया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री, विजयपुर के असंतुष्ट विधायक पाटिल यथनल और जेडीएस से बीजेपी का रुख करने वाले एमएलसी एच विश्वनाथ ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं. यहां तक कि मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को भी सफाई देनी पड़ रही है.
मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने मंत्रिमंडल विस्तार के बाद असंतुष्ट विधायक से कहा यदि भाजपा विधायकों को कोई आपत्ति है तो वे दिल्ली जा सकते हैं, हमारे राष्ट्रीय नेताओं से मिल सकते हैं और उन्हें वे सभी जानकारी और शिकायतें दे सकते हैं. मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन मैं उनसे पूछता हूं कि वे इस तरह पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं
भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीआर पाटिल ने आरोप लगाया है कि एक सीडी के कारण येदियुरप्पा ने तीन विधायकों को मंत्री बनाया. कर्नाटक की राजनीति में सीडी और ब्लैकमेलिंग का मामला ताजा नहीं है.
कर्नाटक की राजनीति में सीडी का पुराना इतिहास
कर्नाटक की राजनीति में 2006 से सीडी शब्द का उपयोग किया जा रहा है. 2006 से कई राजनेताओं ने प्रतिद्वंद्वियों के गलत कामों के वीडियो सबूत के साथ सीडी होने का दावा किया था.
2006 में विधान परिषद के तत्कालीन सदस्य और खनन व्यापारी जी जनार्दन रेड्डी ने पूर्व वन मंत्री चेन्निगप्पा के पास खनन कंपनियों के मालिकों से 150 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का वीडियो होने का दावा किया था. उन्होंने दावा किया था चेन्निगप्पा ने कथित रूप से तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के लिए धन जुटाया.
जनार्दन रेड्डी ने इस मुद्दे को दो महीने तक जीवित रखा था बाद में चेनीगप्पा की सिर्फ एक तस्वीर जारी की जिसमें उनके साथ भारी मात्रा में पैसा था. कुमारस्वामी 20 महीने तक मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहे और 2008 में जनार्दन रेड्डी को पर्यटन मंत्री बनाया गया.
2013 का सीडी कांड