मथुरा :खुद प्राइवेट कॉलेज में टीचर होने के बावजूद पति ने कर्ज लेकर पत्नी को पढ़ाया. तमाम मुश्किलें झेलकर पत्नी की ख्वाहिशें पूरी कीं. उसे उम्मीद थी कि पत्नी पढ़-लिखकर आगे बढ़ेगी तो उसे भी संबल मिलेगा, दोनों हंसी-खुशी गृहस्थी की गाड़ी को आगे बढ़ाएंगे, लेकिन सरकारी टीचर बनते ही पत्नी ने पति के अरमानों का गला घोंट दिया. पहली सेलरी मिलते ही वह मायके चली गई. इसके बाद लौटकर नहीं आई. अब वह पति से तलाक मांग रही है. जिले की गीता सागर भी अब एसडीएम ज्योति मौर्या की राह पर निकल पड़ी हैं.
छह साल पहले हुई थी शादी :मामला जिले के मथुरा ब्लॉक के गांव नगला धनिया का है. गांव के रहने वाले शैलेंद्र सिंह की शादी 8 दिसंबर 2016 में महावन निवासी गीता सागर से हुई थी. शैलेंद्र बीटेक करने के बाद एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाते थे. इसी से मिले रुपये से उनके परिवार का गुजारा होता था. जबकि गीता बीएड थीं, वह आगे पढ़ना चाहती थीं. शैलेंद्र ने उनकी इच्छा पूरी की. दोनों हंसी-खुशी रह रहे थे.
आगे की कहानी शैलेंद्र की जुबानी सुनिए :शैलेंद्र सिंह ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि ' पत्नी की इच्छा के अनुसार मैंने तैयारी के लिए एक कोचिंग में उसका दाखिला कराया. मेरी स्थिति ऐसे नहीं थी कि मैं गीता को पढ़ा पाता, लेकिन जैसे-जैसे कर्ज लेकर मैं उसके सपने पूरे करने में लग गया. मैंने ठान लिया था कि गीता को सरकारी टीचर जरूर बनाना है. इससे मुझे भी मदद मिलेगी और पारिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. गीता ने टेट और सुपर टेट क्लीयर किए तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लगा कि पत्नी के साथ मेरे भी ख्वाब पूरे होने लगे हैं. इस बीच गीता ने दो बच्चियों को जन्म दिया. 69 हजार शिक्षक भर्ती में गीता का नंबर भी आ गया. इसके बाद 2 नवंबर 2020 को वह सरकारी टीचर बन गई. ज्वाइनिंग के बाद गीता मेरे साथा खुशी-खुशी रह रही थी'.