जमशेदपुर:आधुनिकता व विज्ञान के इस दौर में भी समाज में आज भी कई ऐसी परम्पराएं हैं, जिस पर आस्था के लिए लोग अपनी जान जोखिम में डालते हैं. कुछ ऐसा ही मंजर देश की प्रमुख औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में मां मंगला की पूजा के दौरान देखने को मिला. यहां पर पूजा के दौरान भक्त न केवल आग पर नंगे पांव चलते हैं बल्कि कोड़े खाकर पूजा में शामिल होते हैं. इस पूजा में किन्नर भी शामिल होते हैं. पूजा करने वाले मुख्य पुजारी का कहना है कि सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्त को मां कष्ट सहने की शक्ति देती हैं.
जमशेदपुर में प्रतिवर्ष मां मंगला की पूजा की जाती है. मूर्ति स्थापित कर पूजा करने वाली महिलाएं नदी से कलश में जल भरकर अपने सिर पर लेकर नृत्य करते हुए पूजा स्थल पहुंचती हैं. इस दौरान रास्ते में जगह-जगह सिर पर कलश लेकर आती महिलाओं का भक्त स्वागत करते हैं और उनके पैर छूकर आशीर्वाद भी लेते हैं.
पूजा स्थल से कुछ दूरी पर 10 फीट लंबा व 1 फीट चौड़ा गड्ढा किया जाता है, जिसमें लकड़ी के कोयले को जलाकर रखा जाता है. फिर सिर पर कलश लेकर आने वाली महिलाओं को मां मंगला की मूर्ति तक पहुंचने से पहले उस आग पर से गुजरना पड़ता है.
सिर पर कलश लेकर झूमती हैं महिलाएं
मां मंगला की पूजा करने वाले भक्तों में एक किन्नर अपनी जीभ में चांदी का त्रिशूल आर पार करके सबसे आगे चलता है, जबकि आस-पास चलने वालों की आंखे बिना पलक झपकाए खुली रहती हैं. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में सिर पर कलश लिए महिलाएं झूमती हुईं बेखौफ आग से गुजरती हैं. इस पूजा में किन्नरों भी सिर पर जल भरे कलश को लेकर आग पर चलकर आगे बढ़ते हैं. ढोल नगाड़े की धुन पर सभी महिलाएं मां मंगला की मूर्ति की परिक्रमा कर अपने-अपने कलश को पूजा स्थल पर रखती हैं.
महिलाओं पर बरसाए जाते हैं कोड़े