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एमपी में 3,000 डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे पर मंत्रालय में महामंथन - Commissioner Medical Education Nishant Warvade

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के परिसर में जूनियर डॉक्टर्स ने मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर, सरकार विरोधी नारे लगाए. पूरे परिसर में पैदल मार्च करते हुए जूनियर डॉक्टर्स नारेबाजी करते रहे. एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि यह सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध है. हमारी मांगे जब तक पूरी नहीं होती है, सभी डॉक्टर्स ऐसे ही संघर्ष करते रहेंगे, सरकार ने पहले आश्वासन दिया था उसे अब पूरा नहीं कर रही है. हाईकोर्ट ने हड़ताल समाप्त करने के निर्देश दिए थे. लेकिन हमने इस्तीफा देकर निर्णय का सम्मान किया है. लेकिन सरकार का विरोध जारी रहेगा.

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एमपी में 3,000 जूनियर डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा, मंत्रालय में महामंथन

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Published : Jun 4, 2021, 12:38 PM IST

Updated : Jun 4, 2021, 1:00 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तीन दिन पहले हड़ताल पर गये प्रदेश के छह सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटे में काम पर वापस लौटने के बृहस्पतिवार को दिए आदेश के कुछ घंटों बाद ही करीब 3,000 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक (Mass Resignation) इस्तीफा दे दिया.

मध्यप्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने बताया कि प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों के करीब 3,000 जूनियर डॉक्टरों ने बृहस्पतिवार को अपने-अपने मेडिकल कॉलेजों के डीन को सामूहिक इस्तीफा दे दिया है.’’

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तीसरे वर्ष के जूनियर डॉक्टर्स के इनरोलमेंट रद्द कर दिये हैं. इसलिए अब हम परीक्षा में कैसे बैठेंगे.

मालूम हो कि स्नातोकत्तर (पीजी) कर रहे जूनियर डॉक्टर्स को तीन साल में डिग्री मिलती है, जबकि दो साल में डिप्लोमा मिलता है.

मीणा ने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए हम जल्द ही उच्चतम न्यायालय में जाएंगे.

उन्होंने कहा कि मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन एवं फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन भी हमारे साथ आ रहे हैं.

मीणा ने दावा किया कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित सभी राज्यों, एम्स एवं निजी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर एवं सीनियर डॉक्टर भी हमारा समर्थन करेंगे.

इससे कुछ ही घंटे पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक तथा न्यायमूर्ति सुजय पॉल की युगलपीठ ने प्रदेशव्यापी शासकीय जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटों में काम पर लौटने के आदेश देते हुए कल (शुक्रवार) दोपहर ढाई बजे तक काम पर वापस लौटने का निर्देश दिया था.

अदालत ने कहा कि निर्धारित समय सीमा पर जूनियर डॉक्टर हड़ताल समाप्त कर काम पर नहीं लौटते हैं तो राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.

युगलपीठ ने कोरोना महामारी काल में जूनियर डॉक्टर के हड़ताल पर जाने की निंदा की है. उन्हें कहा है कि विपत्तिकाल में जूनियर डॉक्टर की हड़ताल को किसी प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है.

सिविल लाइन जबलपुर निवासी अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह की तरफ से जूनियर डॉक्टर की प्रदेशव्यापी हड़ताल के खिलाफ उच्च न्यायालय में आवेदन दायर किया गया था.

इसी बीच, मध्य प्रदेश के आयुक्त चिकित्सा शिक्षा निशांत वरवड़े ने बताया कि जूनियर डॉक्टर्स की समस्याओं के निराकरण के संबंध में प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग कई बार उनके प्रतिनिधियों से चर्चा कर चुके हैं. चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने मांगों के सकारात्मक समाधान के लिए अनेक कदम भी उठाये हैं.

वरवड़े ने बताया कि सी.पी.आई. के अनुसार जूनियर डॉक्टर्स के स्टायपेंड में 17 प्रतिशत की वृद्धि मान्य की गयी है. जल्द ही इसके आदेश जारी हो जायेंगे. मूल्य सूचकांक के तहत इसमें आगे भी बढ़ोतरी की जायेगी. स्टायपेंड (मानदेय) के अतिरिक्त इनके लिए चिकित्सा छात्र बीमा योजना लागू की जा रही है.

उन्होंने कहा कि नेशनल मेडिकल काउंसिल के दिशानिर्देश के अनुसार डॉक्टरों का कार्य बहुत ही पवित्र कार्य है. डॉक्टरों का मुख्य उद्देश्य इनाम या वित्तीय लाभ प्राप्त करना नहीं अपितु मानवता की सेवा करना है. कानून सभी के लिये बराबर और समान है.

वरवड़े ने बताया कि अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विछिन्नता अधिनियम-1979 आवश्यकतानुसार अनेक सेवाओं से जुड़े अधिकारियों/कर्मचारियों पर भी लगाया जाता है. उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टरों से अपेक्षा है कि वे मरीजों का उपचार जारी रखें. यह उनका नैतिक दायित्व भी है.

संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. उल्का श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर अपनी इच्छानुसार पीजी करने के लिए मेडिकल कॉलेज का चयन करते हैं. मेडिकल कॉलेज का चयन करते समय उन्हें मालूम रहता है कि उन्हें कितना स्टायपेंड मिलेगा.

उन्होंने कहा कि पीजी के दौरान डॉक्टरों के लिए प्रायोगिक अनुभव हेतु भी मरीजों का उपचार करना जरूरी है.

श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी में सेवाभाव से डॉक्टरों को जल्द काम पर वापस आना चाहिए.

मालूम हो कि मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी के बीच छह सरकारी मेडिकल कॉलेज –भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर एवं रीवा – के लगभग 3,000 शासकीय जूनियर डॉक्टर अपनी छह मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं. जूनियर डॉक्टर सरकार से मुख्य तौर पर उनका मानदेय बढ़ाने और कोरोना संक्रमण होने पर उन्हें और उनके परिवार के लिए मुफ्त इलाज की मांग कर रहे हैं.

मीणा ने दावा किया कि प्रदेश सरकार ने 28 दिन पहले छह मई को उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.

जब उनसे सवाल किया गया कि राज्य सरकार ने कहा है कि जूनियर डॉक्टरों के स्टायपेंड में 17 प्रतिशत की वृद्धि मान्य की गयी है और जल्द ही इसके आदेश जारी हो जायेंगे, तो इसके बाद आप काम पर वापस आएंगे, इस पर जूडा अध्यक्ष मीणा ने कहा, सरकार ने 24 प्रतिशत स्टायपेंड बढ़ाने का हमसे वादा किया था. जब तक 24 प्रतिशत नहीं बढ़ाएंगे, तब तक हमारी हड़ताल जारी रहेगी.

Last Updated : Jun 4, 2021, 1:00 PM IST

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