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मासिक शिवरात्रि : भगवान भोलेनाथ को ऐसे करें प्रसन्न, पूरी होगी मनोकामना - masik shivratri November 2021

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत भगवान शिव को बेहद प्रिय है. कहते हैं कि मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ को जल्द प्रसन्न किया जा सकता है. इतना ही नहीं, चतुर्मास में इनका महत्व और अधिक बढ़ जाता है.

masik shivratri 2021
masik shivratri 2021

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Published : Nov 3, 2021, 4:02 AM IST

पानीपत :साल में बड़ी शिवरात्रि दो बार आती है. फाल्गुन मास की चतुर्दशी को शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है और दूसरा सावन मास की चतुर्दशी के दिन, लेकिन हर महीने मासिक शिवरात्रि का व्रत कर के भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त की जा सकती है. कहा जाता है भोलेनाथ को प्रश्न करना इतना आसान नहीं है, परंतु एक व्रत ऐसा है जो भगवान शिव को सर्वप्रिय है, वो है शिवरात्रि का व्रत. इस व्रत को रखकर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सकता है. इस नवंबर माह की शिवरात्रि 3 तारीख बुधवार के दिन की है.

मासिक शिवरात्रि का महत्व

पंडित हरिशंकर शर्मा के अनुसार मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करना बहुत ही आसान है. वह केवल पूजा अर्चना से ही खुश हो जाते हैं. शिवरात्रि का व्रत अत्यंत शुभ और फलदाई माना जाता है, जो भी यह उपवास करता है उसे कभी भी कोई कष्ट नहीं होता और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मनचाहे वर और शादी में आ रही रुकावटों से मुक्त होने के लिए यह व्रत किया जाता है. प्राचीन काल में माता लक्ष्मी रुक्मिणी जैसी देवियों ने भी भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए यह व्रत किए थे.

भगवान शिव को प्रसन्न करना बहुत ही आसान

मासिक शिवरात्रि के व्रत की विधि

पंडित हरिशंकर शर्मा ने बताया कि सुबह उठकर स्नान करें और सफेद या लाल वस्त्र धारण करें. घर में बने मंदिर के साफ करने के बाद गंगाजल से पवित्र कर, भोलेनाथ की मूर्ति के सामने देसी घी का दीपक जलाएं. भोलेनाथ सहित उनके परिवार की प्रतिमा मंदिर में स्थापित करें और उनकी पूजा अर्चना कर पंचामृत का भोग लगाएं और ओम नमः शिवाय का जाप करें. संपूर्ण दिन निराहार रहकर और भोलेनाथ का गुणगान करते रहें और शाम को फल अहान कर इस व्रत को खोला जा सकता है.

मासिक शिवरात्रि के दिन ये काम न करें

  • भगवान शिव को तुलसी पत्र अर्पित न करें. इस बात का भी ध्यान रखें कि पंचामृत में भी तुलसी का भोग न लगाएं.
  • भगवान शिव को शंख से जल अर्पित करने की भूल न करें. पूजा के दौरान भी शंख का इस्तेमाल न करें. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान शिव ने त्रिशूल से दैत्य शंखचूड़ का वध किया था, जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया था. इसके भस्म होने के बाद ही शंख की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए उनकी पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
  • व्रत के दौरान कुमकुम और सिंदूर भगवान शिव को अर्पित नहीं करें. इसके पीछे ये कारण है कि भोलेशंकर को विध्वंसक कहा जाता है. हालांकि, माता पार्वती को सिंदूर अर्पित किया जा सकता है.
  • इसके साथ ही ध्यान रखें कि नारियल का जल शिवलिंग पर भूलकर भी अर्पित न करें. अभिषेक के समय भी नारियल का जल का इस्तेमाल न करें.

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