प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक विवाहित महिला अपने पति के प्रति बेहद पोजेसिव होती है और उसे दूसरों के साथ शेयर करना सहन नहीं कर सकती. न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने यह टिप्पणी की. पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी एक व्यक्ति द्वारा दायर आरोपमुक्त करने की याचिका को खारिज कर दिया गया था. अदालत ने कहा कि आरोपी सुशील कुमार ने तीसरी बार शादी की थी और जाहिर तौर पर यही एकमात्र कारण था कि उसकी पत्नी ने आत्महत्या की.
अदालत ने यह भी कहा कि एक पत्नी के लिए, उसका पति किसी अन्य महिला से गुप्त रूप से शादी करे, यह उसके जीवन को समाप्त करने के लिए पर्याप्त कारण है. पीठ ने कहा, वे (भारतीय पत्नियां) सचमुच अपने पति के प्रति पोजेसिव हैं. किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसका पति किसी अन्य महिला द्वारा साझा किया जा रहा है या वह किसी अन्य महिला से शादी करने जा रहा है. ऐसी अजीब स्थिति में, उनसे किसी तरह की समझदारी की उम्मीद करना असंभव है. ठीक ऐसा ही इस मामले में भी हुआ. मामला आत्महत्या करने वाली महिला के पति द्वारा दायर एक त्वरित पुनरीक्षण याचिका से संबंधित है.