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दिल्ली हाईकोर्ट ने निजामुद्दीन मरकज की 4 मंजिलों को फिर से खोलने की मंजूरी दी - दिल्ली हाईकोर्ट ने निजामुद्दीन मरकज की 4 मंजिलों को फिर से खोलने की मंजूरी

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने बुधवार को इस सप्ताह के अंत में शब-ए-बारात त्योहार (Shab e Barat festival) के मद्देनजर निजामुद्दीन मरकज की चार मंजिलों को फिर से खोलने की अनुमति दे दी. परिसर में कोविड पॉजिटिव मामलों में तेजी आने के बाद 3 मार्च 2020 से मरकज बंद था.

Markaz
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Published : Mar 16, 2022, 7:21 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court ) ने निजामुद्दीन मरकज की 4 मंजिलों को फिर से खोलने की मंजूरी दे दी है. न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने अधिकारियों से मरकज परिसर में इबादत करने वालों पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटाने के लिए भी कहा क्योंकि बताया गया था कि प्रबंधन ने प्रत्येक मंजिल पर कोविड प्रोटोकॉल और शारीरिक दूरी सुनिश्चित की है.

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Delhi Disaster Management Authority) के दिशानिर्देशों के अनुसार प्रत्येक मंजिल पर सौ से कम लोगों को जुटने की अनुमति दी जा सकती है. हालांकि इबादत करने वालों की सीमा के बारे में पीठ ने कहा कि जब वे कहते हैं कि कोविड प्रोटोकॉल बनाए रखेंगे, तो यह ठीक है. इसे भक्तों की बुद्धि पर छोड़ दिया जाना चाहिए. इससे पहले इसी पीठ ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को संबंधित पुलिस थाने में एक आवेदन दायर करने का निर्देश दिया था, जिसमें निजामुद्दीन मरकज में नमाज अदा करने के लिए पूरे मस्जिद परिसर को फिर से खोलने की अनुमति मांगी गई थी.

डीडीएमए द्वारा हाल ही में जारी दिशानिर्देशों पर विचार करते हुए धार्मिक स्थल को फिर से खोलने के लिए वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बोर्ड को हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के एसएचओ के पास तुरंत आवेदन करने को कहा था. इससे पहले अदालत ने इस मुद्दे पर केंद्र का स्पष्ट रुख पूछते हुए कहा था कि मस्जिद को पूरी तरह से क्यों नहीं खोला जा सकता है.

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केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने कहा कि पहले पांच लोगों को नमाज पढ़ने की इजाजत थी और इस साल भी धार्मिक उत्सव में ऐसा किया जा सकता है. इस पर खंडपीठ ने पूछा था कि मिस्टर नायर, आप कृपया निर्देश मांगें कि यदि पहली मंजिल को खोलने में कोई आपत्ति नहीं है, तो शेष भाग को खोलने में क्या आपत्ति हो सकती है? जब धार्मिक त्योहारों पर खोल सकते हैं तो रोज क्यों नहीं?

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