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वैवाहिक स्थिति निजता के अधिकार पर ग्रहण नहीं लगाता: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक याचिका का निपटान करते हुए कहा कि विवाह करने से आधार अधिनियम 2016 के तहत निजता का अधिकार नहीं चला जाता है. पेश मामले में एक महिला ने पति के आधार कार्ड की जानकारी मांगी थी. Marital status not eclipse right to privacy

Karnataka High Court Marital status does not eclipse right to privacy
वैवाहिक स्थिति निजता के अधिकार पर ग्रहण नहीं लगाता: कर्नाटक हाईकोर्ट

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 28, 2023, 12:42 PM IST

बेंगलुरु: वैवाहिक संबंध आधार अधिनियम, 2016 के तहत निजता के अधिकार को ग्रहण नहीं लगाता है. यह टिप्पणी करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव और न्यायमूर्ति विजयकुमार ए पाटिल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के उप महानिदेशक द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की और उसका निपटारा कर दिया. भारत सरकार (यूआईडीएआई) और एफएए केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने एक महिला को आधार कार्ड की जानकारी प्रदान करने के लिए उच्च न्यायालय की एकल सदस्यीय पीठ द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी थी. महिला ने अपने पति के आधार की जानकारी मांगी है.

विवाह अपने आप में आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा 33 के तहत प्रदत्त सुनवाई के प्रक्रियात्मक अधिकार को समाप्त नहीं करता है. विवाह का संबंध दो भागीदारों का मिलन है , निजता के अधिकार को ग्रहण नहीं लगाता है. यह एक व्यक्ति का अधिकार है. और ऐसे व्यक्ति के अधिकार की स्वायत्तता अधिनियम की धारा 33 के तहत सुनवाई की प्रक्रिया द्वारा मान्यता प्राप्त और संरक्षित है. शादी करने से आधार अधिनियम की धारा 33 के तहत अधिकार नहीं छीना जाता है. इस पृष्ठभूमि में खंडपीठ ने एकल सदस्यीय पीठ को मामले पर नये सिरे से विचार करने का निर्देश दिया. और अदालत ने कहा कि पति को प्रतिवादी बनाने का सुझाव दिया गया है.

क्या है मामला: पत्नी ने पति के आधार कार्ड की जानकारी की अपील की थी. हुबली की रहने वाली महिला की शादी नवंबर 2005 में हुई थी. दंपति की एक बेटी है. पारिवारिक अदालत ने अपने पति के खिलाफ मुकदमा दायर करने वाली महिला को ₹10,000 और बच्ची को ₹5,000 का भरण-पोषण देने का आदेश दिया था. अदालत के आदेश को लागू नहीं किया गया क्योंकि पति का पता नहीं चल सका. इस प्रकार महिला ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत यूआईडीएआई से संपर्क किया.

यूआईडीएआई ने 25 फरवरी 2021 को पत्नी के आवेदन को खारिज कर दिया और कहा कि पति के आधार कार्ड की जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता है. आधार एक्ट की धारा 33 के तहत हाईकोर्ट को इसका फैसला करना होगा. तब महिला ने इस पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने पति को नोटिस जारी किया और 8 फरवरी 2023 को यूआईडीएआई (UIDAI) को महिला के आवेदन पर विचार करने का आदेश दिया.

इस आदेश को चुनौती देते हुए यूआईडीएआई ने डिविजनल बेंच में अपील दायर की है, जिसमें कहा गया है कि आधार अधिनियम की धारा 33 (1) का पालन करना अनिवार्य है. तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हाईकोर्ट जज के आदेश के बाद ही जानकारी का खुलासा किया जा सकता है. पत्नी की ओर से बहस करने वाले वकील ने कहा कि शादी के बाद पति-पत्नी की पहचान एक-दूसरे से जुड़ी रहेगी. जोड़े में से किसी एक को दूसरे से जानकारी मांगने पर कोई आपत्ति नहीं है. यह तर्क दिया गया कि जब तीसरा पक्ष जानकारी मांगता है तो प्रतिबंध लगाना मौजूदा मामले में लागू नहीं होता है.

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