नई दिल्ली : वैवाहिक रेप मामले में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी राजशेखर राव (amicus curiae rajasekhar rao) ने कहा कि पति को कानून से बचने का जन्मसिद्ध अधिकार (Husband does not have the birthright to escape the law) नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि पति को भी अधिकार हैं लेकिन सवाल है कि क्या उन्हें कानून से बचने का अधिकार है. अगर ऐसा होता है तो किसी महिला को पत्नी होने के मौलिक हक पर करारी चोट है. जस्टिस राजीव शकधर की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर 17 जनवरी को सुनवाई करेगी.
सुनवाई के दौरान राजशेखर राव ने सहमति पर एक वीडियो कोर्ट में प्ले किया. ये वीडियो चाय और सहमति पर था. उन्होंने कहा कि करीब करीब सभी युवा महिलाओं ने इस वीडियो को देखा है. ये वीडियो निर्भया कांड के बाद सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था. राव ने कहा कि महिला 'नहीं' कह सकती है, अगर किसी परिस्थिति में महिला ने 'हां' कहा तो कानून कहता है कि वो 'हां' नहीं कह सकती है. कानून 'हां' को भी नहीं कहता है.
पिछले 13 जनवरी को केंद्र सरकार ने कहा था कि वैवाहिक रेप के मामले पर सभी पक्षों से मशविरा कर रही है. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि इस मसले पर केंद्र ने रचनात्मक रुख अपनाया है. सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा था कि केंद्र सरकार ने सभी पक्षों की राय मांगी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, चीफ जस्टिस और संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं ताकि वैवाहिक रेप के संबंध में जरूरी संशोधन किए जा सकें. इस पर जस्टिस राजीव शकधर ने कहा कि आम तौर पर ऐसे मामलों में लंबा समय लग जाता है.
बता दें कि इसके पहले केंद्र सरकार ने वैवाहिक रेप को अपराध करार देने का विरोध किया था. 29 अगस्त 2018 को केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि वैवाहिक रेप को अपराध की श्रेणी में शामिल करने से शादी जैसी संस्था अस्थिर हो जाएगी और ये पतियों को प्रताड़ित करने का एक जरिया बन जाएगा. केंद्र ने कहा था कि पति और पत्नी के बीच यौन संबंधों के प्रमाण बहुत दिनों तक नहीं रह पाते.