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महाराष्ट्र : मराठा आरक्षण और नक्सली गतिविधियों के मामले में जानें अब तक क्या हुआ

महाराष्ट्र में इस समय मराठा आरक्षण का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है. मराठा समुदाय को नक्सलियों ने लिखी थी चिट्ठी पत्र में दलाल नेताओं से सावधान रहने की बात कही गई है. जवाब में सांसद संभाजी राजे ने नक्सलियों से लोकतंत्र की मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की है. रिपोर्ट से जानें अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ.

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Published : Jun 15, 2021, 11:59 PM IST

Maratha
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मुंबई :सांसद संभाजी राजे ने अपने पत्र में लिखा कि मुझे पता चला है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के 'स्वराज्य' का जिक्र कर नक्सली संगठन मराठा समुदाय को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. नक्सलियों ने कहा है 'मराठा, हम आपका इंतजार कर रहे हैं.' लेकिन मराठा समुदाय के सदस्य और छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज के रूप में मैं नक्सलियों से लोकतंत्र की मुख्यधारा में शामिल होने की अपील करता हूं. हम उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं.

इस बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि सभी नक्सली संगठनों से पूर्व के सभी नेताओं ने मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की थी. अब तक की सभी सरकारों ने नक्सलियों से मुख्यधारा में आने की अपील की है. उन्होंने यह भी कहा कि सभी नक्सलियों को देश के जिम्मेदार नागरिक के तौर पर आगे आना चाहिए.

विधायक विनायक मेटे ने कहा कि मराठा आरक्षण के लिए माओवादियों का पत्र महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए चेतावनी है. माओवादी मराठा आरक्षण के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य में घुसपैठ करेंगे. मेटे ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मराठा समुदाय और आरक्षण नहीं पाने वाले छात्र माओवादियों के जाल में फंस जाएंगे और राज्य में अराजकता फैल जाएगी. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था का सवाल होगा लेकिन महाराष्ट्र राज्य पुलिस बल सक्षम है.

नक्सली आंदोलन व्यवस्था के खिलाफ एक आंदोलन है. गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा है कि मराठा आरक्षण पर नक्सलियों द्वारा लिखे गए पत्र पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है. पाटिल ने कहा कि जो लोग व्यवस्था के खिलाफ काम कर रहे हैं वे देश के लिए चुनौती या खतरा है.

इस बीच अधिवक्ता गुणवंत सदावर्ते ने संभाजी राजे और उदयन राजे से केंद्रीय जांच एजेंसियों से पूछताछ करने की मांग की है. संभाजी राजे छत्रपति ने मराठा आरक्षण के प्रति सहानुभूति दिखाने के लिए नक्सली संगठनों को धन्यवाद दिया था. संभाजी राजे छत्रपति का बयान नक्सली संगठनों के प्रति सहानुभूति और सम्मान दिखाना है, जो कि देशद्रोह का कार्य है.

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इसलिए उनसे पूछताछ की जानी चाहिए. उदयन राजे भोसले ने कहा है कि उन्हें अदालत आदि पर भरोसा नहीं है इसलिए उन्हें सांसद बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. अधिवक्ता ने कहा कि दोनों के बयान असंवैधानिक हैं और प्रतिबंधित संगठनों के साथ उनके संबंधों की केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच की जानी चाहिए.

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