नई दिल्ली :राष्ट्रीय परियोजनाएं तय करने के लिए मानचित्र और सटीक भू-स्थानिक डेटा महत्वपूर्ण हैं. नदियों को जोड़ने, औद्योगिक गलियारों को बनाने और स्मार्ट बिजली प्रणाली लागू करने जैसी राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए ये बेहद जरूरी है. इसी को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने बड़े पैमाने पर सुधार लागू करने की घोषणा की है.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने भारत की मैपिंग नीति में बड़े पैमाने पर खासतौर से भारतीय कंपनियों के लिए सुधार लागू करने की घोषणा की है. अब वैश्विक तौर पर जो भी सामग्री तत्काल उपलब्ध है, उस पर भारत में प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है. पहले प्रतिबंधित रहे भू-स्थानिक आंकड़े अब भारत में पूरी तरह उपलब्ध रहेंगे.
इसके अलावा अब से हमारे कॉरपोरेशन्स और नवोन्मेषी न तो किसी प्रतिबंध के तहत आएंगे और ना ही उन्हें भारत की सीमा के भीतर कोई भी आंकड़ा एकत्र करने, बनाने, तैयार करने, उसका प्रसार करने, उसका भंडारण करने, प्रकाशन करने और डिजिटल भू-स्थानिक आंकड़े और मैप अपडेट करने के पहले कोई पूर्वानुमति लेनी होगी.
हमारे स्टार्टअप और मैपिंग नवोन्मेषी अब स्वप्रमाणित रूप से अपने विवेक का इस्तेमाल कर और दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए काम कर सकेंगे. इसके साथ ही यह भी प्रस्ताव किया गया है कि आधुनिक मैप निर्माण प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर काम करने वाले भारतीय भू-स्थानिक नवाचारों के विकास के उपाय किए जाएंगे.
ऐसे समय में जब विश्वभर में मैपिंग प्रौद्योगिकी का अगला संस्करण आने के लिए तैयार है, इस नीति से भारतीय नवोन्मेषियों को मैपिंग क्षेत्र में पर्याप्त तरक्की करने और अंतत: जीवन को सरल बनाने तथा छोटे व्यवसायियों को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी.
मैपिंग उद्योग पर लगा रखे थे कई प्रतिबंध