हैदराबाद : भीषण गर्मी के बीच भारत के कई हिस्से बिजली आपूर्ति संकट से जूझ रहे हैं. राज्यों में बिजली की मांग में तेज वृद्धि देखी जा रही है. भारत के बिजली क्षेत्र के संकट और भी बदतर होने की संभावना है. क्योंकि रिकॉर्ड उच्च बिजली की मांग के बीच ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी की समस्या बनी हुई है. पिछले एक हफ्ते में, भारत में कुल बिजली की कमी 623 मिलियन यूनिट (एमयू) तक पहुंच गई. जो मार्च की कुल कमी से भी ज्यादा है. थर्मल पावर प्लांटों में कोयले के कम स्टॉक के कारण इस महीने झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सहित राज्यों में बिजली कटौती हुई है.
महामारी के बाद आर्थिक सुधार के कारण बढ़ती मांग और आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से कम बिजली आपूर्ति के कारण घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले ताप विद्युत संयंत्रों पर दबाव बढ़ गया है. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, कुछ राज्यों द्वारा कोयला कंपनियों को भुगतान में देरी भी थर्मल पावर प्लांटों में कम इन्वेंट्री का एक प्रमुख कारण है. देश के बड़े हिस्से में भीषण गर्मी के कारण मंगलवार को पूरे देश में बिजली की अधिकतम मांग 201 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गई. इस दौरान आपूर्ति में 8.2 गीगावॉट की कमी दर्ज की गई. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की कमी के बीच बढ़ती मांग के कारण मई और जून में बिजली आपूर्ति में और कमी आ सकती है. जबकि मांग 215-220 गीगावॉट के स्तर को छू सकती है.
झारखंड को मांग से 17 प्रतिशत कम बिजली आपूर्ति :पिछले एक सप्ताह में, झारखंड को राज्य की कुल बिजली मांग के लगभग 17.3 प्रतिशत के बराबर की कमी का सामना करना पड़ा. जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ 11.6 प्रतिशत की कमी का सामना करना पड़ा. जबकि राजस्थान में 9.6 प्रतिशत बिजली की कमी थी. पिछले सप्ताह में हरियाणा में 7.7 प्रतिशत, उत्तराखंड में 7.6 प्रतिशत, बिहार में 3.7 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 2.8 प्रतिशत की कटौती दर्ज की गई. मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में 16 घंटे से अधिक समय तक बिजली गुल रही. खबरों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की अपनी बिजली परियोजनाएं इस समय क्षमता से कम उत्पादन कर रही हैं. राज्य की कुल क्षमता 1,211 मेगावाट बिजली उत्पादन की है. लेकिन फिलहाल 450 मेगावाट से थोड़ा ही अधिक उत्पादन हो रहा है. अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में लगभग 2300 मेगावाट की कमी है. जिसे उसे उत्तरी ग्रिड से खरीदने की जरूरत है, लेकिन उच्च बिजली शुल्क और अनुपलब्धता के कारण, यह केवल 800 मेगावाट के आसपास ही खरीद रहा है.
राजस्थान के कोयले की किल्लत :राजस्थान में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और डिस्कॉम के अध्यक्ष भास्कर ए सावंत ने कहा कि बिजली की मांग पिछले वर्ष की तुलना में 31 प्रतिशत बढ़ी है. इधर, कोयला संकट ने राज्य में बिजली उत्पादन को प्रभावित किया है. राजस्थान की क्षमता है कि वह 10,110 मेगावाट तक बिजली पैदा कर सकता है लेकिन कोयले की कमी के कारण 6,600 मेगावाट बिजली ही पैदा कर रहा है. सावंत ने कहा कि ऐसी स्थिति में जिला मुख्यालय और संभाग मुख्यालय को छोड़कर अन्य आवश्यक सेवाओं जैसे अस्पतालों, ऑक्सीजन केंद्रों, पेयजल सुविधाओं, सैन्य प्रतिष्ठानों आदि को निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली कटौती का विकल्प चुनना 'अत्यंत आवश्यक' हो गया है.
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