जयपुर : राजस्थान में इन दिनों सबकी नजर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के कैबिनेट पुनर्गठन पर हैं कि कौन नया मंत्री शामिल होगा और कौन मंत्रिमंडल से आउट होगा. इसके साथ ही सचिन पायलट (Sachin Pilot) कैंप के कितने विधायकों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने मंत्रिमंडल में जगह देते हैं इस पर खास निगाहें जमी हैं.
मंत्रिमंडल हर हाल में जुलाई के आखिर से लेकर अगस्त महीने में कर दिया जाएगा. इस बार मंत्रियों को परफॉर्मेंस के आधार पर तो हटाया ही जाएगा. वहीं कांग्रेस पार्टी कामराज फार्मूले को भी राजस्थान में लागू करने की सोच रही है, जिसके तहत मजबूत मंत्रियों को संगठन की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी में मिलती थी. हम आपको बताते हैं कि किस मंत्री को क्यों ड्राप किया जा सकता है और उन्हें कहां समाहित करने के लिए हटाया जाएगा.
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इन मंत्रियों को संगठन में इस्तेमाल करना चाहती है पार्टी...
गोविंद सिंह डोटासरा: राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) को कैबिनेट से हटाया नहीं जा रहा है, बल्कि उन्होंने स्वयं ही यह कह दिया है कि 'एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत' कांग्रेस में है. वे खुद राजस्थान कांग्रेस के मुखिया हैं, ऐसे में नियम मानने की पहली जिम्मेदारी उनकी ही बनती है. ऐसे में डोटासरा ने कांग्रेस आलाकमान से यह कह दिया है कि वह प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर ही आगे अपनी भूमिका निभाते रहेंगे. उन्हें शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए. डोटासरा खुद अजमेर में यह कहते हुए नजर आए कि मैं दो-पांच दिन का ही मेहमान हूं, मुझसे जो करवाना है करवा लो.
हरीश चौधरी: प्रदेश के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को लेकर भी यह कहा जा रहा है कि चौधरी ने सरकार की जगह संगठन में काम करने की इच्छा जताई है. माना जा रहा है कि हरीश चौधरी को कांग्रेस आलाकमान अब संगठन का काम सौंपना चाहता है. ऐसे में किसी चुनावी राज्य की जिम्मेदारी उन्हें दी जा सकती है. वैसे भी हरीश चौधरी के साथ कमलेश प्रजापत एनकाउंटर विवाद का साया भी आ गया है और बाड़मेर के लोकल विधायक भी हरीश चौधरी पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में जो हरीश चौधरी खुद संगठन की जिम्मेदारी चाह रहे हैं, उन्हें मंत्री पद की जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है.
प्रताप सिंह खाचरियावास: राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी को हर मुद्दे पर मीडिया में प्रोटेक्ट करते हुए दिखाई देते हैं और मंत्री होते हुए भी धरने प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र को जबरदस्त तरीके से घेरते हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी प्रताप सिंह खाचरियावास का इस्तेमाल संगठन में ज्यादा करना चाहती है. कहा जा रहा है कि प्रताप सिंह को अगर परिवहन मंत्री पद से हटाया जाता है तो फिर ऐसे में उन्हें या तो राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रवक्ता या फिर राजस्थान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इसके साथ ही यह माना जाता है कि प्रताप सिंह खाचरियावास को सचिन पायलट (Sachin Pilot) के कोटे में मंत्री बनाया गया था, जिन्होंने अब प्रताप सिंह से दूरी बना ली है.
रघु शर्मा: राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने पूरे कोरोना काल में जिस तरह से बेहतरीन काम किया है, उस काम को देखते हुए तो रघु शर्मा का हटना नामुमकिन है, लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी अब अपने संगठन को भी मजबूत करना चाहती है और उसमें पार्टी को ऐसे मजबूत कंधों की आवश्यकता है, जो संगठन को पूरी तरीके से मजबूत कर सके. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को भी संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है या तो उन्हें एआईसीसी में कोई पद देकर चुनावी राज्य की जिम्मेदारी दी जा सकती है या फिर राजस्थान में ही कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में रघु शर्मा हो सकते हैं.
ममता भूपेश: ममता भूपेश वैसे तो राजस्थान की एकमात्र महिला मंत्री हैं, लेकिन ममता भूपेश संगठन में खास तौर पर महिला कांग्रेस संगठन को संभालने में महारत रखती हैं. ऐसे में राजस्थान की महिला विधायकों में संगठन को संभालने में सबसे ज्यादा तेज तर्रार मंत्री ममता भूपेश को ही माना जाता है. इसी के चलते कहा जा रहा है कि अब ममता भूपेश को संगठन में किसी बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा जा सकता है. हालांकि, यह तब ही होगा, जबकि पार्टी को दो से तीन ऐसी महिला विधायक मिल जाए, जिन्हें मंत्री बनाया जा सकता है, क्योंकि 30 में से कम से कम तीन मंत्री तो महिलाओं को बनाना होगा. ऐसे में अगर कांग्रेस को ऐसी महिला विधायक नहीं मिली तो ममता भूपेश को फिलहाल मंत्री पद पर रखना कांग्रेस की मजबूरी भी हो सकती है.
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इन मंत्रियों पर भारी पड़ सकता है विवाद