मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि यदि केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू किया होता तो जाने-माने व्यक्तियों सहित अनेक लोगों की जान बचाई जा सकती थी.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने केंद्र से कहा कि जब टीकाकरण केंद्रों पर जाने में असमर्थ वरिष्ठ नागरिकों के जीवन का सवाल है तो घर-घर जाकर टीकाकरण का कार्यक्रम क्यों शुरू नहीं किया जाता.
पीठ वकील ध्रुति कपाड़िया और वकील कुणाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
याचिका में आग्रह किया गया है कि 75 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, विशिष्ट जनों और बिस्तर या व्हीलचेयर तक सीमित लोगों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
अदालत ने गत 22 अप्रैल के अपने आदेश को दोहराया जिसमें केंद्र सरकार से कहा गया था कि वह घर-घर जाकर टीकाकरण न करने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे.
इसने कहा, 'तीन सप्ताह हो गए हैं और सरकार (केंद्र) को अभी अपने निर्णय के बारे में सूचित करना है.' अदालत ने केंद्र सरकार को सुनवाई की अगली तारीख 19 मई तक शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया.
अदालत ने इस बात का उल्लेख किया कि कई देश पहले ही घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू कर चुके हैं.
न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा कि यदि घर-घर जाकर टीकाकरण किया गया होता तो जाने-माने लोगों सहित अनेक वरिष्ठ नागरिकों की जान बचाई जा सकती थी.