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उत्तराखंड में चीन सीमा को जोड़ने वाले कई पुल हो चुके धराशायी, अब बनाया गया ये प्लान - उत्तराखंड के पांच जिलों से अंतरराष्ट्रीय सीमा

उत्तराखंड के पांच जिलों से अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है. यही वजह है कि ये जिले सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील और अहम हैं. यहां कई पुल हैं, जो सीधे भारत-चीन और भारत-नेपाल को जोड़ते हैं. ऐसे में इन पुलों की अहमियत काफी बढ़ जाती है, लेकिन ये पुल कई बार धराशायी हो चुके हैं. लिहाजा, अब इन पुलों को लेकर सरकार ने खास प्लान बनाया है.

Bridges Were Collaped in Uttarakhand
उत्तराखंड में पुल टूट रहे

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Published : Apr 17, 2023, 6:40 PM IST

Updated : Apr 29, 2023, 2:53 PM IST

देहरादूनःउत्तराखंड का बड़ा हिस्सा चीन और नेपाल की सीमा से लगा हुआ है. उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ जिले जहां चीन की सीमा से लगते हैं तो वहीं चंपावत, उधम सिंह नगर के अलावा पिथौरागढ़ जिले की सीमा नेपाल से लगते हैं. ऐसे में सामरिक दृष्टि से ये जिले बेहद महत्वपूर्ण हैं. खासकर चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिले काफी अहम हैं. यहां सहरद पर हर समय भारतीय सेना की टुकड़ी मौजूद रहती है. जहां पहुंचने के लिए कई पुलों को पार करना पड़ता है. कई मर्तबा ये पुल धाराशायी हो जाते हैं. जिस वजह से सेना समेत सीमांत गांवों का संपर्क कट जाता है. ऐसे हालात कई बार पैदा हो चुके हैं.

बेहद महत्वपूर्ण हैं ये पुलःभारत चीन सीमा पर कई पोस्ट हैं, जहां जवान हर वक्त चौकन्ना रहकर देश की सुरक्षा करते हैं. जिसमें नीति, माणा समेत मलारी बॉर्डर भी शामिल हैं. यहां पहुंचने के लिए बीआरओ ने बैली ब्रिज से लेकर अन्य पुल बनाए हैं. जिनसे होकर सेना के कैंप तक रसद, हथियार समेत जरूरी सामग्री पहुंचाया जाता है, लेकिन कई बार पुल टूटने की वजह से यह क्षेत्र देश के अन्य हिस्सों से कट जाता है. ताजा मामला नीति बॉर्डर क्षेत्र का है. जहां जोशीमठ-मलारी-नीति मार्ग पर बुरांस के पास बैली ब्रिज धराशायी होकर टूट गया.

तवाघाट में पुल धराशायी.

जिस वक्त यह पुल टूटा, उस वक्त ट्रक गुजर रहा था. जैसे ही हादसा हुआ, ट्रक चालक नदी में कूद गया. जिससे उसे गंभीर चोटें आई हैं, उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. इस पुल के माध्यम से ही सेना अपने महत्वपूर्ण सामान और रसद सामग्री रोजाना लेकर जाती है. यह पुल इसलिए भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, यही एकमात्र पुल है, जो नीति बॉर्डर को जोड़ती है. इस पुल के टूटने से सीमांत 7 गांवों का संपर्क भी कट गया.

सीमांत सड़कों और पुलों की देखरेख का जिम्मा बीआरओ यानी बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के हाथों में है. पुल टूटने के बाद ही बीआरओ के अधिकारियों और इंजीनियरों की टीम मौके पर पहुंच गई. अंधेरा हो जाने की वजह से इस ऑपरेशन को रोकना पड़ा. अब बीआरओ के कमांडेंट कर्नल अंकुर महाराज की देखरेख में फिलहाल, इस पुल की मरम्मत समेत अन्य वैकल्पिक पुल बनाने का काम शुरू हो गया है. इसके अलावा पुल हादसे की जांच भी की जा रही है. जिससे पता चलेगा कि इतना मजबूत कैसे धराशायी हो गया? बरहाल, सभी पहलुओं पर बीआरओ की टीम जांच करेगी.

पिथौरागढ़ में मिलम मार्ग पर टूटा पुल.

पिथौरागढ़ में भारत चीन सीमा को जोड़ने वाले पुल टूट चुकेः इसी तरह का पुल हादसा बीते साल 2022 में पिथौरागढ़ के धारचूला में देखने का मिला था. जहां चीन सीमा को जोड़ने वाला 180 फीट लंबा पुल अचानक बीच से टूट गया था. इस हादसे में चालक और परिचालक घायल हो गए थे. यह हादसा पिथौरागढ़ के आदि कैलाश मार्ग पर हुआ था. इससे पहले साल 2020 में जनवरी महीने में भारत चीन को जोड़ने वाला तवाघाट पुल टूटा था. उस वक्त मालपा से आगे सड़क कटिंग के लिए पोकलैंड मशीन लेकर जा रहा एक ट्राला गुजर रहा था. तभी पुल गिर गया. जिसमें ट्राला चालक और पोकलैंड मशीन ऑपरेटर घायल हो गए थे.

साल 2020 में मुनस्यारी में टूटा था पुलःपुल टूटने का एक और हादसा साल 2020 में देखने को मिला था. जब पिथौरागढ़ के ही मुनस्यारी मीलम स्थित वैली ब्रिज टूट गया. इस पुल से चीन सीमा की दूरी मात्र 65 किलोमीटर थी. इस पुल के टूटने की वजह से सेना को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. यह हादसा उस वक्त हुआ था, जब बैली ब्रिज से एक पोकलैंड मशीन दूसरी तरफ जा रही थी. तभी बीच से पुल टूट गया और मशीन नदी में जा गिरी. इस पुल के टूटने से 15 गांव का भी संपर्क पूरी तरह से कट गया था.
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बताया जा रहा था कि पोकलैंड मशीन का वजन यह पुल उठा नहीं पाया. जिस वजह से यह हादसा हुआ. इस हादसे में भी ऑपरेटर और चालक दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. इस पुल की क्षमता 18 टन की थी. जबकि, पोकलैंड की मशीन 26 टन की थी. ये हादसा होना लाजमी था. पुल भी हादसे से 10 साल पहले साल 2009 में बना था. हालांकि, बीआरओ ने कुछ ही दिन में नया पुल तैयार कर दिया था.

कई बार टूटा चुका उत्तरकाशी का गंगारी पुल.

उत्तरकाशी में गंगोरी पुल भी कई बार हो चुका है धराशायीः भारत-चीन सीमा और चारधाम यात्रा के लिहाज से अहम गंगोरी पुल आपदा यानी 2013 के बाद से तीन बार टूट चुका है. यह पुल अस्सी गंगा नदी पर बनाया गया था. अब बीआरओ ने यहां पर देश का पहला जनरेशन पुल तैयार किया है. जिसकी लंबाई करीब 190 फीट है. जो 70 टन से ज्यादा क्षमता वाले वाहनों का भार झेल सकता है.

पर्यावरणविद राजीव नयन कहते हैं कि उत्तराखंड के पहाड़ अभी बेहद कच्चे हैं. पुल हो या सुरंग, इन्हें बनाने के लिए ब्लास्टिंग या अन्य मशीनों के जरिए पहाड़ खोद दिए जाएंगे तो कभी न कभी उसके परिणाम भी सामने आएंगे. उत्तराखंड के लिए पुल बेहद जरुरी हैं, क्योंकि हर जगह सड़क नहीं बन सकती है. घाटियां होने और नदियां होने की वजह से पुलों के जरिए ही आवाजाही संभव है. ऐसे में पुलों की क्षमता और मजबूती का बेहद ध्यान रखना होगा.

चमोली में टूटा पुल,

वहीं, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु की मानें तो राज्य सरकार ने हाल ही में बजट जारी किया है. अब जल्द ही स्टेट हाईवे पर बने 288 पुल अपग्रेड किए जाएंगे. फिलहाल, अभी 182 पुलों के लिए 13 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं. जिससे पुलों की मरम्मत की जाएगी. साथ ही नए पुलों की जरुरत होगी तो वो भी बनाए जाएंगे. इनमें कई पुल सीमा को जोड़ने वाले भी हैं, ताकि सेना और दूरस्त गांव के लोग आसानी से आवाजाही कर सके.

इतने पुलों की होगी मरम्मत-

  • पिथौरागढ़- 09
  • बागेश्वर- 03
  • नैनीताल- 11
  • उधम सिंह नगर- 08
  • अल्मोड़ा- 47
  • चंपावत- 10
  • उत्तरकाशी- 13
  • चमोली- 38
  • रुद्रप्रयाग- 12
  • देहरादून- 25
  • पौड़ी- 06
  • कुल- 182
Last Updated : Apr 29, 2023, 2:53 PM IST

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