मुंबई :आईपीएस अधिकारी हेमंत नगराले ने चंद्रपुर जिले में स्थित भद्रवती स्कूल से छठी कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की. बाद में वे नागपुर चले गए, जहां उन्होंने पटवर्धन हाईस्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. नागराले ने वीआरसीई नागपुर (अब वीएनआईटी) से बीई (मैकेनिकल) की डिग्री ली है और मास्टर ऑफ फाइनेंस मैनेजमेंट (जेबीआईएमएस, मुंबई) में स्नातकोत्तर किया है.
हेमंत नागराले को राष्ट्रपति पुलिस सेवा पदक, विशेष सेवा पदक और आंतरिक सुरक्षा पदक जैसे कई पुरस्कार मिले हैं. एक आईपीएस अधिकारी के रूप में उनका पहला कार्यभार (1989-92) नक्सल प्रभावित चंद्रपुर जिले में राजपुरा के एएसपी के रूप में था. उन्हें 1992 से1994 तक सोलापुर में डीसीपी के रूप में नियुक्त किया गया था और सोलापुर के नए आयुक्तालय के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 1992 में सोलापुर शहर में बाबरी मस्जिद सांप्रदायिक दंगों के बाद कानून और व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उनकी बहुत सराहना की गई थी.
नागराले की अन्य उपलब्धियां
1994-996 में एसपी रत्नागिरी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने दाभोल पावर कॉर्पोरेशन से संबंधित भूमि अधिग्रहण मामले को संभाला. जब वे एसपी सीआईडी अपराध शाखा (1996-1998) रहे, तब उन्होंने एमपीएससी पेपर लीक मामले की जांच की जो कि महाराष्ट्र के कई हिस्सों में फैला हुआ था. नागराले को कुख्यात अंजनबाई गावित चाइल्ड अपहरण और हत्या के मामले को सुलझाने के लिए भी जाना जाता है. यह मामला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मृत्युदंड के बाद समाप्त हुआ.
बड़े मामलों को संभालने में दक्ष
इसके अलावा हेमंत नागराले ने सीबीआई (मार्च 1998-सितंबर 2002) को अपनी सेवाएं प्रदान की हैं. उन्हें एसपी बैंकिंग और धोखाधड़ी, सीबीआई मुंबई और बाद में डीआईजी सीबीआई, नई दिल्ली के रूप में भी तैनात किया गया था. सीबीआई में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने केतन पारेख घोटाला, माधोपुर को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला (1,800 करोड़ रुपये) और हर्षद मेहता घोटाला मामले में बैंक ऑफ इंडिया के 130 करोड़ रुपये के मामले सहित कई मामलों की जांच की और निगरानी पूरी की.
कई बार मिली है सराहना
उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा निर्देशित तेलगी स्टांप पेपर घोटाले की जांच के लिए डीजीपी एसआईटी के रूप में नियुक्त किया गया था. जिसमें विस्तृत अनुसंधान और मिलान जांच की गहराई के लिए उनकी सराहना की गई. 2007 से 2008 तक उन्हें अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (पूर्व) मुंबई के रूप में नियुक्त किया गया और संवेदनशील क्षेत्रों में सांप्रदायिक अशांति को संभाला. विशेष आईजीपी और निदेशक सतर्कता और सुरक्षा (2008-2010) के कार्यकाल में उन्होंने बेहतर प्रवर्तन और बिजली चोरी के मामलों में कमी के कारण राजस्व में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी.