नई दिल्ली : राज्य सभा सांसद मनोज झा (RJD Manoj Jha) ने कहा कि संसदीय इतिहास में आज तक कभी भी एक साथ 40-50 लोगों के निधन पर एक साथ शोक प्रस्ताव या श्रद्धांजलि नहीं दी गई. उन्होंने राजीव सातव के निधन का जिक्र करते हुए कहा कि यह कोई उम्र नहीं थी उनके जाने की.
मनोज झा ने कहा कि देश में कोरोना महामारी को लेकर उपजे हालात उनकी निजी पीड़ा हैं. उन्होंने कहा कि आज के हालात, 1947 में मिली आजादी के बाद सरकारों की सामूहिक विफलता है. उन्होंने कहा कि जिनका भी निधन हुआ है वे हमारी नाकामी का जिंदा दस्तावेज छोड़ गए हैं, हमें यह देखना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के लिए आम लोगों के फोन आते थे. लोगों को लगता था कि सांसद हैं, व्यवस्था हो जाएगी. हम नाकाम होते थे. मनोज कुमार झा ने कहा 'हमें उन सबके नाम एक साझा माफीनामा जारी करना चाहिए जिनकी लाशें गंगा में तैर रही थीं, जिनके बारे में हमें कभी कुछ पता नहीं चल पाएगा. क्या राजीव सातव की उम्र थी जाने की ? ऑक्सीजन के लिए लोग तड़पते छटपटाते नजर आए. अस्पतालों में जगह नहीं थी. यह किसकी असफलता थी ? रेमडेसिवर.... और भी कई दवाएं हैं जिनका नाम कोई नहीं जानता था, वह नाम रट गए लेकिन समय पर दवाएं नहीं मिलीं.'
गौरतलब है कि राजीव सातव उच्च सदन में कांग्रेस के सदस्य थे जिनका कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण 46 वर्ष की आयु में 16 मई को निधन हो गया.