नई दिल्ली :पूर्वोत्तर में जारी सीमा-विवाद की रिपोर्ट तैयार करने वाली चार सदस्यीय समिति का नेतृत्व गृह मंत्रालय में वरिष्ठ नौकरशाह और पूर्व संयुक्त सचिव (NE Division) शंभू सिंह करेंगे.
नई दिल्ली में ईटीवी भारत से बात करते हुए शंभु सिंह ने कहा कि अभी समिति मूल रूप से हर विवरण का दस्तावेजीकरण कर रही है कि आखिर इस तरह के टकराव की वजह क्या है?
वरिष्ठ नौकरशाह शंभु सिंह ने कहा कि हम ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर गौर करेंगे, जिससे ऐसी स्थिति पैदा हुई, जहां सीमा-विवाद होते रहते हैं. साथ ही समिति, सरकार को कुछ सुझाव भी देगी. उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई को असम-मिजोरम के बीच हुए दुर्लभ खूनी संघर्ष में असम पुलिस के छह जवानों और एक नागरिक की जान चली गई थी.
उन्होंने कहा कि हमारा व्यापक उद्देश्य स्पष्ट रूप से यह बताना है कि ये विवाद कैसे और क्यों हुए हैं? सिंह ने कहा कि जहां तक पूर्वोत्तर का संबंध है तो असम मातृ राज्य रहा है. सिंह ने कहा कि मणिपुर और त्रिपुरा (दो रियासतों) को छोड़कर पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को असम से अलग किया गया है.
सिंह ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश एक अलग श्रेणी में था. लेकिन अरुणाचल प्रदेश और असम की जमीन सामान्य थी, और जब अरुणाचल प्रदेश (नेफा के तहत) एक केंद्र शासित प्रदेश हुआ करता था. बाद में लगभग 900 वर्ग किलोमीटर भूमि असम को हस्तांतरित कर दी गई थी. इसलिए अरुणाचल प्रदेश पूछ रहा है कि जमीन उन्हें वापस कर दी जाए. जहां तक नागालैंड की बात है तो रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण हो चुका है जो पहले असम की सीमा के भीतर था. यह एक और विवाद है.
वरिष्ठ नौकरशाह सिंह ने कहा कि मेघालय के साथ सीमा विवाद काफी हद तक नियंत्रण में है क्योंकि दोनों राज्य समझते हैं कि क्या करने की आवश्यकता है. सिंह को केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में पूर्वोत्तर में काम करने का व्यापक अनुभव है.
मिजोरम के साथ सीमा-विवाद का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि यह संघर्ष, हाल का विवाद नहीं है. जब इनर लाइन शुरू की गई थी, तब वह एक आरक्षित वन था, जिसे मिजोरम में इनर लाइन में शामिल किया गया था. इसके बाद, जब मिजोरम को असम से अलग किया गया तो यह आरक्षित वन असम को वापस दे दिया गया.