नई दिल्ली: आबकारी घोटाले में सीबीआई द्वारा दर्ज केस में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की कोर्ट द्वारा न्यायिक हिरासत शुक्रवार को दो जून तक बढ़ा दी गई. सीबीआई केस में न्यायिक हिरासत खत्म होने पर सिसोदिया सुबह सवा 11 बजे राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए. आबकारी घोटाले से जुड़े मामले में सीबीआइ ने 25 अप्रैल को मनीष सिसोदिया के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इससे पहले गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने 2021-22 के लिए आबकारी नीति के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले सीबीआई मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने संबंधित जेल अधीक्षक को यह भी निर्देश दिया था कि जमानत याचिका के निस्तारण तक सिसोदिया और उनकी पत्नी के बीच हर तीसरे दिन अपराह्न 3-4 बजे के बीच वीसी बैठकें सुनिश्चित करें. अदालत सिसोदिया की पत्नी की बीमारी के आधार पर अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका पर भी फैसला करेगी. न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि वर्चुअल बैठकें जेल नियमों के अनुसार आयोजित की जाएंगी. इस बीच यह अदालत जेल के अधीक्षक को जेल नियमों के अनुसार जमानत अर्जी के निस्तारण तक हर दूसरे दिन अपराह्न 3-4 बजे के बीच सिसोदिया की पत्नी के साथ वीसी बैठक सुनिश्चित करने का निर्देश देती है. साथ ही जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखती है.
बता दें कि सिसोदिया फिलहाल आबकारी घोटाले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें 31 मार्च को सीबीआई मामले में विशेष न्यायाधीश ने जमानत देने से इंकार कर दिया था. उन्हें हाल ही में ईडी मामले में भी जमानत देने से इंकार कर दिया था. सिसोदिया ने नियमित जमानत की मांग करते हुए पहले की सुनवाई में तर्क दिया था कि कथित शराब नीति घोटाला मामले में सीबीआई को उनके पास से पैसे के लेन-देन का कोई सबूत नहीं मिला है और उनके खिलाफ आरोप संभावित हैं.
सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए जांच एजेंसी ने कहा कि इस मामले में एक गहरी जड़ वाली और बहुस्तरीय साजिश शामिल है, जिसमें सिसोदिया जो कथित तौर पर जांच के दौरान असहयोगी और टालमटोल करने वाले रहे हैं. सिसोदिया कार्यप्रणाली का पता लगाने की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं. उनको कार्यपालिका और नौकरशाहों के साथ घनिष्ठ सांठगांठ का आनंद मिलता है. सीबीआई ने कहा कि उच्च पद पर आसीन आप नेता के पार्टी के सहयोगी यह दावा करते हुए तथ्यात्मक रूप से गलत दावे करते रहते हैं कि सिसोदिया एक राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हैं और जांच को प्रभावित कर रहे हैं.