इंफाल : मणिपुर के तेंगनौपाल जिले के पल्लेल में शुक्रवार को अलग-अलग झड़पों और गोलीबारी की घटनाओं में महिलाओं सहित लगभग 50 लोग घायल हो गए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि इन झड़पों और गोलीबारी की घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गई. हालांकि, पुलिस ने अभी तक हताहतों की संख्या की पुष्टि नहीं की है. पुलिस के अनुसार, प्रतिद्वंद्वी सशस्त्र समूहों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प में 11 नागरिक गोली लगने से घायल हो गए.
जैसे ही गोलीबारी की खबर सोशल मीडिया पर फैली, थौबल और काकचिंग जिलों से सैकड़ों पुरुष और महिलाएं पल्लेल की ओर दौड़ पड़े, लेकिन असम राइफल्स के जवानों ने उन्हें रोक दिया, जिसके बाद आंदोलनकारी लोगों ने पथराव कर दिया. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए असम राइफल्स द्वारा आंसूगैस के गोले छोड़े जाने के बाद 30 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं. असम राइफल्स के एक जवान को भी मामूली चोट आई है.
रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के जवानों की एक बड़ी टुकड़ी ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इंफाल से पल्लेल जाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने थौबल में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे टकराव की स्थिति पैदा हो गई. आरएएफ जवानों के साथ झड़प में महिलाओं समेत 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए. हालांकि शाम होने से ठीक पहले तेंग्नौपाल जिले और अन्य स्थानों पर गोलीबारी कथित तौर पर बंद हो गई है, लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है.
मैतेई समुदाय की शीर्ष संस्था, मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) और प्रमुख आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने हमलों के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाया. दो दिन पहले हजारों प्रदर्शनकारी बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में सेना के बैरिकेड्स को तोड़ने के लिए इकट्ठा हुए थे, ताकि वे तोरबुंग में अपने घरों में लौटने की कोशिश कर सकें, जिसे उन्होंने 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद अपने-अपने घर छोड़ दिया था और राहत शिविरों में शरण ली थी.