तेजपुर (असम) : मणिपुर में हिंसा के चार दिन बाद केंद्र सरकार ने स्थिति को सामान्य करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए भारत-म्यांमार सीमा पर हवाई निगरानी और यूएवी चौकसी बढ़ा दी गई है. रक्षा सूत्रों ने कहा कि मणिपुर में जारी संकट एक नए सुरक्षा आयाम को जन्म दे सकता है, क्योंकि भारत-म्यांमार सीमा पर शिविरों में रहने वाले मणिपुर घाटी आधारित विद्रोही समूह मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए चल रहे बड़े प्रयासों के लिए हानिकारक हो सकते हैं.
इन्हीं पहलुओं को देखते हुए सुरक्षा बलों द्वारा कड़ी चौकसी बरतने के साथ ही उनको मंसूबों को विफल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसी क्रम में असम राइफल्स के द्वारा चौबीस घंटे चौकसी और सीमा निगरानी बढ़ा दी है. साथ ही हवाई निगरानी के लिए मानव रहित यूएवी और सेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा कड़ी निगरानी रखी जा रही है. यही वजह है कि सेना के द्वारा चीता हेलीकॉप्टरों द्वारा कई दौर की हवाई निगरानी की जा चुकी है. इसके लिए सेना और असम राइफल्स तालमेल से काम कर रहे हैं. आशा जताई गई है कि मणिपुर में जल्द ही शांति बहाल हो जाएगी.
बता दें कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. वहीं गैर आधिकारिक सूत्रों के अनुसार हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और 150 से अधिक घायल हुए हैं. इंफाल घाटी में शनिवार को जनजीवन सामान्य होता नजर आया क्योंकि दुकानें एवं बाजार फिर से खुले और सड़कों पर कार भी चलती दिखीं. अधिकारियों ने बताया कि सभी प्रमुख क्षेत्रों और सड़कों पर सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों और केंद्रीय पुलिस बल के जवानों की तैनाती के साथ सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है.
शुक्रवार को जिन इलाकों में उग्रवादी समूहों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई थी, वहां सड़कों पर बेरीकेड लगाकर घेराबंदी कर दी गई है. राज्य से बाहर निकलने के प्रयास में इंफाल हवाई अड्डे पर छात्रों समेत बड़ी संख्या में लोग एकत्रित देखे गए. इस बीच, असम राइफल्स की एक टुकड़ी को इंफाल में सभी नगा छात्रों को रविवार को वापस कोहिमा ले जाने के लिए चुनिंदा जगहों से एकत्रित करने का निर्देश दिया गया है. बुधवार रात भड़के दंगों के पीड़ितों के लिए स्थापित विभिन्न शरणार्थी शिविरों में रह रहे लोगों ने कहा कि कई गांवों में आग लगा दी गई है.