नई दिल्ली : असम राइफल्स के काफिले पर शनिवार को मणिपुर में घात लगाकर हमला किया गया जिसमें 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी समेत पांच जवान शहीद हो गए. हमले में कर्नल की पत्नी और छह साल के बेटे की भी मौत हो गई. इस हमले के पीछे खासतौर पर दो उग्रवादी संगठनों का हाथ हो सकता है. इनमें से एक प्रतिबंधित पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलीपक (PREPAK) है, जो हर साल 13 नवंबर को काला दिवस मनाता है.
ऐसा ये इसलिए करता है क्योंकि 12 नवंबर, 1978 को इसके कुछ शीर्ष नेताओं को अर्धसैनिक सीआरपीएफ और मणिपुर राज्य पुलिस के संयुक्त बल ने मार दिया था. दूसरा, उग्रवादी संगठन पीएलए है. मुख्य घाटी-आधारित उग्रवादी समूह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भी इस क्षेत्र में काम करता है. माना जाता है कि पीएलए के म्यांमार सीमा से 20 किमी के भीतर चुराचांदपुर सीमा पर दो शिविर संचालित हैं. कैडरों और हथियारों के मामले में PREPAK मजबूत है. वहीं PLA उग्रवाद से त्रस्त राज्य में सबसे बड़े विद्रोही संगठनों में से एक है. ये सभी तथ्य मणिपुर घाटी स्थित विद्रोही संगठनों के संयुक्त अभियान की ओर इशारा करते हैं.
कर्नल त्रिपाठी की असम राइफल्स की टीम ने 12 नवंबर, 2021 को बेहियांग चौकी का दौरा किया था. वह वापस लौट रहे थे, जब निशाना बनाया गया. हमला गुरिल्ला शैली में हुआ जिसमें आईईडी का विस्फोट हुआ और उसके बाद स्वचालित हथियारों से फायरिंग हुई.
कोरकॉम में ये उग्रवादी संगठन
जुलाई 2011 में रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (RPF), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की राजनीतिक शाखा-PLA, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलीपक (PREPAK), इसका प्रगतिशील गुट (PREPAK-Pro), कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (KCP), कांगले यावोल कन्ना लुप (KYKL) और यूनाइटेड पीपल्स पार्टी ऑफ कांगलीपाक (UPPK) ने मिलकर समन्वय समिति गठित की जिसे कोरकॉम नाम से जाना जाता है. हालांकि बाद में इसमें से यूनाइटेड पीपल्स पार्टी ऑफ कांगलीपाक को 'CorCom' से बाहर कर दिया गया.