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मणिपुर की 11 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ने पीएम मोदी को किया ट्वीट, कहा- 'हम मन की बात नहीं सुनना चाहते' - मन की बात

मणिपुर में मैतेई जनजाति की 11 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट किया है. इस ट्वीट में उसने पीएम मोदी की मन की बात कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं.

11 year old environmental activist
11 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता

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Published : Jul 30, 2023, 7:59 PM IST

तेजपुर: मणिपुर में मैतेई जनजाति की 11 वर्षीय भारतीय पर्यावरण कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने राज्य के गंभीर मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया. उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' के बजाय 'मणिपुर की बात' के लिए एक मंच की मांग की है. लिसिप्रिया ने प्रधानमंत्री को हाल ही में एक ट्वीट कर लिखा कि 'प्रिय प्रधानमंत्री @नरेंद्रमोदी जी, हम आपकी #मनकीबात नहीं सुनना चाहते. हम #मणिपुरकीबात सुनना चाहते हैं. हम सचमुच मर रहे हैं.'

मणिपुर में चल रहे संघर्ष के बीच, लिसिप्रिया ने राज्य को बाधित करने की कोशिश करने वाली बाहरी ताकतों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों को एकजुट करने के लिए पीएम मोदी की सराहना की. क्षेत्र में शांति और स्थिरता की मांग को लेकर इंफाल में आयोजित विरोध प्रदर्शन में 3 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया. वह लिखती है कि 'मणिपुर को तोड़ने के लिए बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप के खिलाफ आज इंफाल में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ.'

उसने आगे लिखा कि 'इससे 3 लाख से ज्यादा लोग जुड़े. मणिपुर एक है और हम एकजुट हैं! हमें एकजुट करने के लिए @नरेंद्रमोदी जी को धन्यवाद!' इसके अलावा इस युवा कार्यकर्ता ने मणिपुर में आश्रय शिविरों का दौरा करने वाले राजनीतिक नेताओं की भी आलोचना की और कहा कि वे पीड़ितों का उपयोग केवल फोटो अवसरों और सोशल मीडिया प्रचार के लिए कर रहे थे.

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लिसिप्रिया के अनुसार, इन नेताओं द्वारा मणिपुर की पहाड़ियों और घाटियों में व्याप्त पीड़ा को कम करने या हिंसा को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. चूंकि स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, खासकर चुराचांदपुर, चांडाल और कांगपोकपी जिलों में, क्षेत्र में तैनात असम राइफल बलों के लिए सुरक्षा स्थिति अनिश्चित बनी हुई है. हमलों का डर मंडराता रहता है, जिससे उन्हें रात में जमीन पर सोना पड़ता है कि कब गोली चल जाए, इसका कोई भरोसा नहीं होता.

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