हमारे हिंदू धर्म के कैलेंडर के अनुसार देखा जाय तो देवशयनी एकादशी या आषाढ़ी एकादशी के बाद अगले 4 महीने अर्थात् पूरे चतुर्मास में मांगलिक कार्यों का निषेध माना जाता है. इसीलिए देवशयनी एकादशी के बाद वैवाहिक व अन्य बड़े मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. इसके लिए देवोत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी का इंतजार किया जाता है, क्योंकि जब भगवान विष्णु योग निद्रा त्याग कर फिर से सृष्टि का कार्यभार संभालने की तैयारी करते हैं, तो ही मांगलिक कार्य शुरू हुआ करते हैं. इसके पीछे कई धार्मिक तर्क दिए जाते हैं.
देवशयनी एकादशी आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनायी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं. हमारी मान्यताओं में ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु पूर्ण मानसिक विश्राम के लिए योग निद्रा में जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि वह क्षीरसागर में लंबे विश्राम के लिए चले जाया करते हैं. इसीलिए हर साल आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन देवशयनी एकादशी मनायी जाती है.